Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 499
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू०२९ चन्द्रसूर्याणां विमानवाहकदेवसंख्यानि० ४८७ णानाम्, तत्र वैडूर्यमयानि भासमानकटाक्षाणि अतिशयेन शोभमानार्द्ध प्रक्षितानि-सुनिरीक्षणानि सुलोचनानि येषां ते तथा तेषाम्, 'जुत्तप्पमाण पहाण लक्खणपसत्थरमणिज्ज. गगगरगलसोभियाणं' युक्तप्रमाणप्रधानलक्षणप्रशस्तरमणीयगग्गरगलशोभितानाम्, तत्र-युक्तप्रमाणः-यथोचित प्रमाणयुक्तः प्रधानलक्षणः प्रशस्त रमणीयोऽतिशयेन रमणीयः गग्गरकःपरिधानविशेषः तेनाभरणविशेषेण गलशोभितानाम्-शोभितगलानाम् वृषभदेवानाम्, तथा'घरघरग सुसद्दबद्धकंठपरिमंडियाणं' घर घरक सुशब्दबद्धकण्ठपरिमण्डितानाम्, तत्र घर घरका:-कण्ठस्याभरण विशेषाः सुशब्दाः-मुन्दरशब्देन शब्दवन्तः ते बद्धा यत्र स चासौ कण्ठश्च तेन परिमण्डितानाम्, तथा-'नानामणि कणगरयण घंटियावेवच्छिगसुकयमालिया णं' नानामणिकनकरत्नघण्टिकावैवक्षिकसुकृतमालिकानाम्, तत्र नाना-विविधप्रकारकमणिकनकरत्नमय्यो या घण्टिका:-क्षुद्रघण्टाः किंकिण्यस्तासां वैवक्षिकास्तिर्यग वक्ष सि स्थापितत्वेन सुकृताः सम्यग्र रूपेण रचिता मालिकाः येषां ते तथा तादृशानाम्, 'वरघंटागलपभालुज्जलसिरिधरणं' वरघण्टागलकमालोज्ज्वलश्रीधराणाम्, सुन्दर होते हैं 'वेरुलियभिसंत कडक्ख सुनिरिक्खणाणं' इनके लोचन वैडूर्य मणिमय होते हैं और भासमान कटाक्षों से युक्त होते हैं 'जुत्तप्पमाणपहाण लक्खणपसत्थरमणिज्जगग्गरगलसोभियाणं' इनके गले यथोचित प्रमाण से युक्त, प्रधान लक्षणों से संपन्न अतिशय रमणीयऐसे गग्गरक-आभरणरूप परिधान विशेष से शोभित रहते हैं 'घरधरगसुसद्दबद्ध कंठपरिमंडियाण' संदर शब्दों से सुशोभित शब्दायमान ऐसे घरघरक कंठाभरणविशेष इनके कंठो में सजे रहते हैं। 'नानामणि कणगरयणघंटियावेवछिग सुकय मालियाणं' इनके वक्षस्थल पर जो क्षुद्र धंटिकाओं की मालाएं तिरछेरूप में स्थापित की गई हैं वे अनेक प्रकार के मणियों सुवर्णो एवं रत्नों से निर्मित हई है 'वरघंटा गलयभालज्जलसिरिधराणं' क्षुद्रटिकाओ की अपेक्षा भी विशिष्टतर होने के कारण सुन्दर २ बडे घंटाओं की मालाओं से इनके गले की शोभा में और भी कडक्ख सुनिरिक्खणाणं' मेमना बायन डूय भलिभय हाय छ भने भासमान टासाथी युत डाय छे. 'जुत्तप्पमाणपहाणलक्खणपसत्थरमणिज्जगग्गरगलसोभियाणं' मना गण યાચિત પ્રમાણથી યુક્ત પ્રધાનલક્ષણથી સંપન્ન, અતિશય રમણીય એવા ગાગરકमाम२९५३५ परिधान विशेषथी सुशोभित २९ छे, 'घरघरगसुसद्दबद्धकंठपरिमंडियाणं' सुन्दर શબ્દથી સુશોભિત–શબ્દાયમાન એવા ઘરઘરક-કંઠાભરણ વિશેષ એમના કંઠમાં સજેલાં छ 'नानामणि कणगरयणघंटियावेवछिग सुकयमालियाणं' समना पक्षस्य ५२ रेक्षद्र ઘંટડીઓની હારમાળા ત્રાંસી રીતે સ્થાપિત કરવામાં આવી છે તે અનેક પ્રકારના મણિએ, सुवर्ण तथा रत्नाथी निमित थसी छ. 'वरघंटा गलय भ लुज्ज लसिरिधराणं' क्षुद्र घटिકાઓની અપેક્ષા પણ વિશિષ્ટતર હોવાના કારણે સુન્દર મોટા ઘંટની માળાઓથી એમના ગળાની શોભામાં વળી અધિક વિશિષ્ટતા આવી ગઈ છે એવી વિશિષ્ટતાથી તેઓ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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