Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे अन्तरं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पश्चत्रिंशत् पञ्चत्रिशद् योजनानि, त्रिंशच एकषष्टिभागान् योजनस्य एकपष्टिभागं च सप्तधा छित्त्वा चतुरश्चूणिकाभागान् चन्द्रमण्डलस्य चन्द्रमण्डलस्याबाधया अन्तरं प्रज्ञप्तम् ॥३॥ चन्द्रमण्डलं खलु भदन्त ! कियता आयामविष्कम्भेण, कियता परिक्षेपेण, किया बाहल्येन प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पइपञ्चाशदेकषष्टिभागान् योजनस्य आयामविष्कम्भेण तत् त्रिगुणितं सविशेष परिक्षेपेण अष्टाविंशतं चैकषष्टिभागान् योजनस्य बाहल्येन प्रज्ञप्तम् ॥४॥ ॥० ११॥
टीका-'कइणं भंते ! चंदमंडला पन्नता' कति-कियत्संख्यकानि खलु भदन्त ! चन्द्र मण्डलानि प्रज्ञप्तानि-कथितानीति चन्द्रमण्डलसंख्याविषयकः प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'पन्नरसचंदमंडला पन्नत्ता' पञ्चदशसंख्यकानि चन्द्रस्य मण्ड. लानि प्रज्ञप्तानि-कथितानि ।
जिस तरह से १५ अनुयोग द्वारों द्वारा सूर्य की प्ररूपणा की गई है उसी प्रकार से अब सूत्रकार अवसर प्राप्त चन्द्र प्ररूपणा भी करते हैं इस में ७ अनु. योगदार हैं (१) मंडलसंख्या प्ररूपणा है (२) मंडलक्षेत्र प्ररूपणा है (३) प्रतिमंडल अन्तर प्ररूपणा है (४) मंडल अयामादिकामान है (५) मन्दरपर्वत को लेकर प्रथमादि मंडलों की अबाधा हैं (६) सर्वाभ्यान्तर मंडलों का आयामआदि है (७) मुहूर्त गति है।
"कइ णं भंते ! चंद मंडला पन्नत्ता'-इत्यादि। टीकार्य-गौतमस्वामी ने इस सूत्र द्वारा प्रभु से ऐसा पूछा है-'कइणं भंते ! चंदमंडला पन्नत्ता' हे भदन्त ! चन्द्रमण्डल कितने कहे गये हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! पन्नरस चंदमंडला पन्नत्ता' हे गौतम ! १५ चन्द्रमंडल कहे गये हैं। अब गौतमस्वामी ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'जंबुद्दीवेणं भंते ! 'केवइयं ओगाहित्ता केवइया चंद मण्डला पन्नत्ता' दे भदन्त ! जम्बूद्वीप
જે પ્રમાણે ૧૫ અનુગ દ્વારે વડે સૂર્ય પ્રરૂપણ કરવામાં આવેલી છે, તે પ્રમાણે હવે સૂત્રકાર અવસર પ્રાપ્ત ચન્દ્ર પ્રરૂપણ પણ કરે છે. આમાં ૭ અનુગદ્વાર છે-(૧) મંડળ સંખ્યા પ્રરૂપણ છે. (૨) મંડળક્ષેત્ર પ્રરૂપણ છે. (૩) પ્રતિમંડળ અંતર પ્રરૂપણ છે. (૪) મંડળ આયામાદિનું માન છે. (૫) મંદર પર્વતને લઈને પ્રથમાદિ મંડળની समाधा छ. (६) सल्यातरम गाना मायामा छे. (७) मुहूत गति छ. ___ कइणं भंते ! चंडमंडला पन्नत्ता' इत्यादि।
-गौतमस्वाभीमे 24 सूत्र १3 प्रभुने म तना प्रश्न छ, 'कइणं भंते ! चंदमंडला पन्नत्ता' 3 ल ! यन्द्रमा वामां आता है? मेना
सभा प्रभु ४३ छे. 'गोयमा ! पन्नरस चंद मंडला पन्नत्ता' गौतम! १५ यन्द्रमा पामा मासा छ. १३ गौतभाभीये प्रभुने २ गत! प्रल छ 'जंबुद्दीवे णं
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર