Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 6 0 016 0 ur m द्वीन्द्रिय संसारसमापन्न जीवों की प्रज्ञापना द्वीन्द्रिय जीवों की जाति एवं योनियां (70) त्रीन्द्रिय संसारसमापन्न जीवों की प्रज्ञापना चतुरिन्द्रिय संसारसमापन्न जीवों की प्रज्ञापना चतुर्विध पंचेन्द्रिय संसारसमापन्न जीवों को प्रज्ञापना नैरयिक जीवों को प्रज्ञापना 61-68 समग्र पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की प्रज्ञापना 3 भेद-जलचर, स्थलचर, खेचर / जलचर के पांच भेद (74) 66-81 थलचर पंचेन्द्रिय के विविध भेद 82-85 प्रासालिक की उत्पत्ति कहाँ ? 86-61 खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक के विविध भेद चर्मपक्षी, लोमपक्षी, समुद्गपक्षी, विततपक्षी समग्र मनुष्य जीवों की प्रज्ञापना सम्मूच्छिम मनुष्य-उत्पत्ति के 14 स्थान गर्भज मनुष्य के तीन प्रकार अन्तर्वीपक मनुष्य के अट्ठाईस भेद अकर्मभूमक मनुष्य के तीस भेद कर्मभूमक मनुष्य : दो भेद----आर्य-म्लेच्छ म्लेच्छ (अनार्य) भेद आर्य के विविध भेद ऋद्धि-प्राप्त आर्य : 6 भेद (अरहंत, चक्रवर्ती आदि) 101 ऋद्धि-अप्राप्त प्रार्य : नौ भेद 102 क्षेत्रार्य : साढे छब्बीम पार्यक्षेत्र 103 जात्यार्य–छह प्रकार 104 कुलार्य-छह प्रकार 105-106 कर्यि----शिल्पार्य : विविध भेद 107 भाषार्य कौन ? लिपि के 18 भेद 108-138 ज्ञानार्य-दर्शनार्य-चारित्रार्य: विविध भेद (विवेचन--अन्तीपक मनुष्य-कहाँ, कैसे ? अकर्मभूमक तथा आर्य जातियां-विवेचन (107) चरित्रार्य : विविध समीक्षाएं (106-111) चतुर्विध देवों की प्रज्ञापना 140 दश प्रकार के भवनवासी देव आठ प्रकार के वाणव्यन्तर देव पांच प्रकार के ज्योतिषक देव WWWWWWWW Ym.xur 90 tee A.A AA E 2 2 4 A. PANA W0.00 mm MGG Gm me ne mom 62-103 103-106 141 112 [26] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org