Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ विषयानक्रमणिका सूत्र पृष्ठांक amar wm AM 14 6-13 प्रज्ञापनासूत्र-विषयपरिचय मंगलाचरण और शास्त्रसम्बन्धी चार अनुबन्ध प्रज्ञापनासूत्र के छत्तीस पदों के नाम प्रथम प्रज्ञापनापद-पृष्ठ 1-116 प्रज्ञापनाः स्वरूप और प्रकार अजीवप्रज्ञापना: स्वरूप और प्रकार अरूपी-अजीव-प्रज्ञापना रूपी-जीव-प्रज्ञापना (वर्ण-गंध-रस-स्पर्श-संठाण) रूपी अजीव की परिभाषा (28) धर्मास्तिकाय आदि की परिभाषा (28) वर्णपरिणत पुद्गलों के भेद तथा उनकी व्याख्या (26-30) जीव-प्रज्ञापनाः स्वरूप और प्रकार 15-17 असंसारसमापन्न जीव-प्रज्ञापना (असंसारसमापन्न जीवों (सिद्ध) के 15 भेद-(३२-३३) संसारसमापन्न जीव-प्रज्ञापना के पांच प्रकार एकेन्द्रिय संसारी जीवों की प्रज्ञापना 20-25 पृथ्वीकायिक जीवों की प्रज्ञापना 26-28 अप्कायिक जीवों की प्रज्ञापना 26-31 तेजस्कायिक जीवों की प्रज्ञापना 32-34 वायुकायिक जीवों की प्रज्ञापना 35-53 वनस्पतिकायिकों की प्रज्ञापना (प्रत्येकशरीर बादर वनस्पति के 12 भेद--४८-५६) 5.4-55 साधारणशरीर बादर वनस्पतिकाय (अनन्तकाय) का स्वरूप तथा प्रकार (वृक्षादि 12 भेदों को व्याख्या (66) प्रत्येकशरीरी अनेक जीवों का एक शरीराकार कैसे ? दो दृष्टान्त (66) अनन्तजीवों वाली वनस्पति के लक्षण (67) बीज का जीव मूलादि का जीव बन सकता है या नहीं ? (68) साधारणशरीर वादर वनस्पतिकायिक जीवों का लक्षण (ER) mmm Mmm"" 46 [25] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org