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३० अलबेली आम्रपाली
मैं तेरे अतिरिक्त किसी को नहीं बता सकता। किसी से मार्गदर्शन भी नहीं ले सकता।" राजा ने गंभीर होकर कहा।
रानी को पूरा विश्वास हो गया था कि राजा ने यह उपाय पूरा सोच-समझ कर निीत किया है। वह बोली-"आप निश्चित रहें। एक आध सप्ताह के बाद ही मैं आपकी यह चिन्ता दूर कर सकेंगी।" ___ "तेरे बुद्धि गौरव के प्रति मेरे मन में अटूट विश्वास है । किन्तु यह कार्य ऐसा है कि प्रासाद की दीवारों को भी इसकी गंध नहीं आनी चाहिए । और बिंबिसार अत्यन्त बुद्धिमान् है । इसको तो इसकी कल्पना भी नहीं आनी चाहिए।"
"इसीलिए तो मैंने एक सप्ताह का समय मांगा है। किन्तु इस प्रकार देशाटन के लिए भेजने में एक भय तो बना ही रहेगा।"
"कसा भय ?" राजा ने पूछा।
रानी बोली-"यदि देश से निर्वासित हो जाने के पश्चात् बिंबिसार अपने अधिकार के लिए प्रयत्न करे तो...?"
"वह प्रयत्न निष्फल होगा, क्योंकि जिसको निष्कासित किया जाता है उसके सारे अधिकार छिन जाते हैं, समाप्त हो जाते हैं।"
"तब तो आपकी यह युक्ति सफल होगी।", कहकर रानी रैलोक्यसुन्दरी खड़ी हुई और बोली- "कृपावतार, आप सारी रात जागते रहे हैं। अब आप स्नान आदि से निवृत्त होकर कुछ विश्राम करें।" "तू भी स्नानगृह में जा।" कहकर प्रसेनजित खड़ा हुआ।
६. जनपदकल्याणी का अभिषेक कल वैसाख कृष्णा तीज का सूर्य उदित होगा और भारत की सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी आम्रपाली जनपद कल्याणी के रूप में प्रतिष्ठित होगी। यह बात पूरे भारत में फैल चुकी थी।
लोगों में उत्सव और रूप को देखने की लालसा हजारों वर्षों से है। पीढ़ियां समाप्त हो जाती हैं, किन्तु उत्सव और रूप को निरखने की तमन्ना कभी समाप्त नहीं होती।
वैशाली गणतन्त्र के समस्त जनपद से हजारों-हजारों नर-नारी वैशाली में एकत्रित हो चुके थे। अन्यान्य जनपदों के नागरिक भी बड़ी संख्या में आ गए थे। ___ एक तो आम्रपाली के रूप-सौरभ के विषय में अनेक बातें प्रचलित हो चुकी थीं। उनमें भी, आम्रपाली ने गणसभा को स्तब्ध कर अपनी तीनों शर्ते मंजूर करा लीं, यह बात आसपास के जनपदों में विस्मय पैदा कर रही थी।
राजगृह, श्रावस्ती, कौशांबी आदि नगरों से हजारों लोग वहां आ गए थे।