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अलबेली आम्रपाली
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धनंजय ! प्रजा यदि दरिद्र है, सम्पत्तिहीन है किन्तु यदि चरित्रबल और एकता से सम्पन्न है तो वह अमर बन जाती है । मद्यपान की अमर्यादा, स्त्रीसहचार की तीव्र लालसा, रंगराग की लूट – ये सब विनाश के चिह्न हैं ।" धनंजय मौन रहा ।
१७. पागल हाथी
fafaसार और धनंजय मेले का निरीक्षण करते-करते आगे बढ़े। चारों ओर भिन्न-भिन्न वस्त्रों की दुकानें, अलंकार और आभूषणों की दुकानें देख वे विस्मित हो रहे थे ।
बिबिसार कुछ कहे उससे पूर्व ही पीछे से आने वाली भीड़ की प्रबल आवाज सुनाई दी । भागो भागो, हटो हटो की आवाज आने लगी और दोनों ने देखा |
मुड़कर
एक मदोन्मत्त हाथी भयातुर होकर भाग रहा था । सारा मार्ग वैशाख के बादलों की तरह जनशून्य हो गया । धनंजय ने भी बिंबिसार का हाथ पकड़कर उन्हें एक ओर ले गया। बिंबिसार ने देखा, भय से पागल बना हुआ एक गजराज आ रहा है । यदि यह गजराज काबू में न आए तो बड़ी विपत्ति खड़ी हो सकती है और अनेक व्यक्ति उसके पैरों तले कुचले जा सकते हैं ।
बिंबिसार इस प्रकार चिन्तन कर ही रहा था कि गजराज उसकी ओर मुड़ता-सा दिखाई दिया। सभी लोग हाहाकार करने लगे । वे चिल्ला रहे थे"इस ओर भीड़ अधिक है । यदि पागल गजराज इस ओर आ गया तो सैकड़ों व्यक्तियों की मौत निश्चित है ।"
बिंबिसार ने ये शब्द सुन लिये। उसने धनंजय से कहा - " धनंजय ! आज हम बिना किसी शस्त्रास्त्र के आये हैं । यदि इस हाथी को किसी भी उपाय से रोका नहीं गया तो अनेक निर्दोष व्यक्ति कुचले जाएंगे ।"
"अब हम क्या करें ?"
"चल, आगे चलें । किसी से धनुष-बाण ले लेंगे ।"
" वे आगे चले ।"
हाथी के पीछे-पीछे सैकड़ों व्यक्ति आ रहे थे । उनमें धनुर्धारी लिच्छवी भी थे । वे लोगों को सचेत करने के लिए आवाज कर रहे थे, पर आगे जाने के लिए कोई साहस नहीं कर रहा था ।
गणतन्त्र के संकड़ों सैनिक भी आ पहुंचे थे । परन्तु किसी के मस्तिष्क में यह विचार नहीं आया कि पागल हाथी को वश में करने के लिए उसके सामने जाना चाहिए। पीछे से कोई बाण या भाला फेंक नहीं सकते थे, क्योंकि यदि हाथी पीछे मुड़ आए तो हजारों को पीस डाले ।