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अलबेली आम्रपाली
व्यक्ति नहीं था । एक दुकान का शर्राफ अपने साथियों के साथ आम्रपाली को देखने की तैयारी कर रहा था। धनंजय ने स्वर्ण देकर उससे कुछ मुद्राएं ले लीं ।
मुद्राएं देकर शर्राफ दुकान को खुली छोड़ आम्रपाली को देखने निकल पड़ा । उसे दूकान में पड़े स्वर्ण की या मुद्राओं की चिन्ता नहीं थी । उस शर्राफ की उम्र लगभग पचास वर्ष की थी, पर उसकी अधीरता चंचल युवक से अधिक थी ।
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धनंजय ने कहा- "महाराज ! आम्रपाली का जादू गजब का लगता है । यौवन को भी पार कर अधेड़ अवस्था में पहुंचा हुआ शर्राफ कितना अधीर हो गया था ?"
बिबिसार बोला - "धनंजय ! सुन्दर नारी का आकर्षण युग-युग से चला आ रहा है। राजगृह में मैंने आम्रपाली के विषय में कुछ सुना था और अब इस अधेड़ व्यक्ति की अधीरता उस सत्य का साक्षात्कार कराती है ।'
"
दोनों बात करते-करते अपने अश्वों पर आगे चले। वे पहाड़ी के निकट आए । जब अश्व पहाड़ी पर चढ़ने लगे, तब धनंजय ने बिंबिसार से पूछा"महाराज ! आप कुछ गम्भीर विचार में हैं, ऐसा लग रहा है।"
" धनंजय ! मेले का सामान्य निरीक्षण करने के पश्चात् मेरे मन में अनेक विचार आ रहे हैं। आज पूर्व भारत में लिच्छवियों का शौर्य अजोड़ गिना जाता है। उनकी जवांमर्दी और गुणग्राहकता प्रसिद्ध है । एक लिच्छवी सौ योद्धाओं के साथ लड़ सकता है। मौत को हथेली पर रखकर चलना लिच्छवियों की ताई है । किन्तु इस मेले के निरीक्षण के पश्चात् मुझे विनाश की छाया दिखने लगी है ।"
"विनाश की छाया ?"
"हां, धनंजय ! एक बार जब मैं जितारी सन्निवेश में वीणा की अन्तिम साधना कह रहा था, तब आचार्य कार्तिक स्वामी के पास वैशाली के अनेक समाचार आते थे। मैंने सुना था कि देवी आम्रपाली सौन्दर्य की देवी है और उसको प्राप्त करने के लिए लिच्छवियों में गुटबंदी हुई है । किन्तु आम्रपाली को जनपदकल्याणी बनाकर सिंह सेनापति ने लिच्छवियों की एकता को बनाये रखा । उस समय मुझे प्रतीत हुआ कि पूर्व भारत की एक महान् जाति विनष्ट होने से बच गयी। पर आज ।"
"महाराज ! लिच्छवियों की एकता तो आज भी अटूट है ।"
"धनंजय ! महान् जीवन जीने के लिए केवल एकता ही नहीं, चरित्रबल अपेक्षित होता है । मुझे मेले में लिच्छवियों की विलासप्रियता का दर्शन हुआ। वहां कितनी नगर-नारियां आयी थीं । कितने मद्यगृह थे ? द्यूतगृह तो सर्वत्र देखने को मिल जाते । आम्रपाली को देखने के लिए कितनी अधीरता ! रूपदर्शन की इस अंधी लालसा के पीछे चरित्रबल की न्यूनता स्पष्ट है ।"