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२०८ अलबेली आम्रपाली
माविका ने जो अश्व पूर्वीय द्वार पर भेज दिए थे 'उतावल में महाराज साथ में कुछ भी नहीं ले सके थे। इसलिए मेरे आग्रह से वे यक्ष मन्दिर में रुके और माविका प्रवास योग्य सामग्री रथ में डालकर वहां गई । चार लिच्छवी युवकों ने माध्विका को रथ में जाते हुए देख लिया था। उन्होंने रथ का पीछा किया। पर रथ द्रुतगति से चल रहा था और वे सब वाहन-विहीन थे। इसलिए उनको बहुत पीछे छोड़कर माविका वहां पहुंच गयी। मेरे स्वामी उपवन से ही उज्जयिनी के मार्ग पर प्रस्थित हो गए । सुनंद मानता है कि शीलभद्र की मृत्यु में मेरे स्वामी का हाथ है। महाराज ! कल्पना के घोड़े कितने ही दौड़ाए जा सकते हैं । उससे तथ्य प्राप्त नहीं होता। अब रही विषकन्या की बात । महाराज, राज्य का कर्तव्य है कि वह विषकन्या की खोज करे । यह उचित भी है । परन्तु निकम्मी कल्पना कर निर्दोष को दोषी ठहराने के लिए प्रयत्न करना अपनी मूर्खता ही साबित करनी है।"
सिंहनायक खड़े हो गए। वे आम्रपाली के निकट गए। उसके मस्तक पर वे हाथ रखकर बोले-"पुत्रि ! उस दिन यदि तू मुझे यह बात बता देती तो...?"
___ "तो मेरे स्वामी वैशाली की सीमा पार नहीं कर पाते । लिच्छवी संगाम के लिए पर्वत से अटल हैं । किन्तु बुद्धि का अभाव भी उतने ही अनुपात में है। यदि लिच्छवियों में शक्ति के साथ-साथ बुद्धि भी होती तो वैशाली की एक ही कन्या को जनपदकल्याणी न बनना पड़ता।" आम्रपाली ने कहा।
सिंह सेनापति आम्रपाली को धीरज बंधाकर विदा हुए। वे तो मानते ही थे कि बिबिसार निर्दोष है और आम्रपाली की सारी बात सुनकर उनका मानना और अधिक पुष्ट हो गया । वे निश्चिन्त इस बात से थे कि मगध के युवराज इस षड्यन्त्र में लिप्त नहीं हैं । उन्हें केवल चिन्ता यह थी कि षड्यन्त्र का संचालक कौन है और उसे कैसे पकड़ा जा सकता है। __रात्रि के प्रथम प्रहर के पश्चात् महाबलाधिकृत, चरनायक तथा अन्य राज्याधिकारी गणनायक के यहां एकत्रित हुए।
गणनायक सिंह सेनापति ने आम्रपाली के साथ हुई बातचीत पूर्णरूप से उन्हें बताई। फिर उन्होंने चरनायक को उद्दिष्ट कर कहा- "सुनंद ! एक बार भटकाव का मार्ग ले लेने पर फिर सही मार्ग मिलना कठिन हो जाता है। यदि विषकन्या की खोज करनी है और मूल षड्यन्त्र को पकड़ना है तो फिर खोज की दिशा बदलनी होगी 'पूर्वाग्रहों से ग्रस्त मानस सत्य की खोज नहीं कर सकता।"
सुनंद यह सब सुनकर निष्प्रभ हो गया। महाबलाधिकृत और अन्य राज्याधिकारी भी अवाक रह गए।
फिर इस विषय की महत्त्वपूर्ण चर्चा कर षड्यन्त्रकारियों की खोज करने के लिए उपाय निर्धारित किए।