Book Title: albeli amrapali
Author(s): Mohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
Publisher: Lokchetna Prakashan

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Page 338
________________ अलबेली आम्रपाली ३२९ पन्द्रह दिनों तक सुदास पद्मरानी के घर पर ही रहा । सुदास की वाणी में बहुत मिठास था, इसलिए तारिका को बहुत सन्तोष था। जिस दिन सुदास अपनी सुन्दर पत्नी को साथ ले, एक रथ में बैठ, क्षत्रिय कुंडग्राम की ओर विदा हुआ, उस दिन तारिका की आंखों से आंसू बहते ही रहे... और माता के आश्रय को छोड़ते समय पद्म रानी को भी अत्यन्त दु:ख हुआ। देवी आम्रपाली का यह आदेश था कि कन्या के विषय में कोई समाचार न दिया जाए, क्योंकि कन्या कैसी है, क्या करती है आदि समाचारों से ममता का बांध छलक उठे और कभी कन्या के पास जाना पड़ जाए। पद्मरानी के सोलह वर्ष बीत जाने पर किसी प्रकार की बाधा नहीं थी, पर उसके विवाह के समाचार तारिका भेज नहीं सकी। उसने सोचा था, एक वर्ष बाद यह सुखद समाचार देवी को कहलाना है और देवी के पास जाकर आनन्दप्रद बात कहनी है कि कन्या एक धनकुबेर की कुलवधू बनी है। किन्तु मनुष्य के मनोरथ कभी पूरे नहीं होते । मनुष्य जब मन में एक चित्र उकेरता है तब वह समय को भूल जाता है । एक जन्मदात्री माता से भी अतिप्रेम भरे भावों से पद्मरानी का लालनपालन कर मातृत्व का आनन्द लूटने वाली तारिका पुत्री को ससुराल भेजने के तीन महीने बाद मर गई। मौत आती है तब किसी से कहकर नहीं आती 'मांगने से वह मिलती नहीं... सभी इच्छाओं के तृप्त हो जाने पर ही वह आए, ऐसी बात भी नहीं है । यह तो अचानक आती है 'मुहूर्त देखे बिना आती है दिन, रात या ऋतु से निबंध होकर आती है । मौत का यही सत्य है कि वह आती है। "अवश्य आती है। तारिका के मन की भावना मन में ही रह गई और मौत के अंधकार में वह सदा के लिए अदृश्य हो गई। आम्रपाली को समाचार कौन दे ? और आम्रपाली पुत्र-वियोग की वेदना को विस्मृत करने के लिए मैरेय और प्रमोद का सहारा ले रही थी। उसके नृत्य अब अधिक उद्दाम और उत्तेजक होने लगे। वैशाली के तरुण प्रौढ़ और वृद्ध आम्रपाली के नृत्य को देखने के लिए अत्यधिक उत्कंठित और परवश हो गए। सभी को यही प्रतीत होने लगा कि नवयौवन की प्रेरणा अलबेली जनपदकल्याणी से ही प्राप्त हो सकती है, अन्यथा नहीं । ___ आम्रपाली के जीवन की बहार भी नूतन रंगों से खिल रही थी। इस बहार में फिर बसन्त का गुंजन था रति की मादकता थी. मदोन्मत्तता का कल्लोल था।

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