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अलबेली आम्रपाली २१६
की प्रार्थना की। लक्ष्मी ने कहा - "देवी कादंबिनी की प्रतीक्षा में हम यहां कब तक रहेंगे ? हमारे पास धन नहीं है और देवी कादंबिनी का क्या हुआ है, यह भी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है।"
नगररक्षक भी उनको आश्वासन कब तक दे ? उसने सोचा, या तो कादंबिनी किसी नवयुवक के साथ घर बसा लिया होगा अथवा किसी ने उसे बलात् अपने घर में रख छोड़ा होगा ।
इसलिए उसने कादंबिनी के सभी मनुष्यों के प्रवास का प्रबन्ध कर डाला । जिस दिन विषवैद्य गोपालस्वामी चंपानगरी की ओर प्रस्थित हुए, उसी दिन कादंबिनी के सभी व्यक्तियों का समूह राजगृह की ओर रवाना हो गया । विषकन्या की खोज व्यर्थ हुई - यह दुःख वैशाली के चर विभाग के मन में शल्य की तरह चुभ रहा था।
कुमार बिंबिसार इस षड्यंत्र में संलग्न नहीं है, यह विश्वास सबको हो चुका था । परन्तु इस षड्यंत्र के पीछे कौन है - यह प्रश्न जटिल हो रहा था ।
पूर्व भारत में वैशाली के चर - विभाग की अपूर्व ख्याति थी । किन्तु इस प्रश्न के कारण उसकी कीर्ति मंद हो गई थी।
सिंह सेनापति को यह असफलता शल्य की भांति चुभने लगी। उन्होंने आर्य सुनंद से कहा भी था - "विषकन्या का पता नहीं लगा, यह बात सही जा सकती है परन्तु षड्यन्त्र का कुछ भी पता नहीं लगना हमारे लिए शर्म की बात है । मुझे लगता है कि आम्रपाली का कथन सत्य है कि वैशाली की नयी पीढ़ी विलास और प्रमोद में इतनी पागल बन गई है कि अपनी स्वतंत्रता को टिकाए नहीं रख सकती । सुनंद ! वैशाली के गणतंत्र को हिला देने वाले षड्यंत्रकारी को हम पकड़ नहीं सके, तो फिर हम शत्रु की अन्यान्य चालों का मुकाबला कैसे कर पाएंगे ? देवी आम्रपाली इतनी उम्र हो गई हैं कि वे कहती हैं कि ऐसे निर्वीर्य चर - विभाग का अंत ही श्रेयस्कर है । अपनी नगरी से एक नर्तकी का अपहरण हो और अपहरणकर्ता का पता ही न लगे, क्या यह छोटी बात है ? वह तो नर्तकी थी । आज यदि कोई कुलवधू का भी अपहरण कर ले, या किसी कन्या को उठा ले जाए तो क्या राजतंत्र ऐसे ही निष्फल प्रयास करेगा ? राजतंत्र को सदा सजग ही रहना चाहिए। यदि सजगता मिटती है, सक्रियता खत्म होती है तो राजतंत्र अपने आप धूल में मिल जाता है ।"
सुनंद बोला - "महाराज ! मुझे अत्यन्त दुःख होता है । लज्जा से मेरा मस्तक झुक जाता है । षड्यन्त्रकारी की जांच में मैंने कोई कसर नहीं रखी । नगरी का एक भी स्थान ऐसा नहीं बचा जिसका मैंन निरीक्षण न किया हो । परन्तु मुझे सफलता नहीं मिली। अंतिम खोज में एक नयी बात सामने आई है । "कौन-सी बात ?"
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