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१२६ अलबेली आम्रपाली
कादंबिनी को वहां आए कुछ दिन व्यतीत हुए। सारे नगर में महान नर्तकी के रूप में उसकी ख्याति होने लगी। सैकड़ों लोग उसके रूप-सौन्दर्य पर मुग्ध होकर भान भूलने लगे।
और महारानी त्रैलोक्यसुन्दरी जिसको मगध का मुकुट दिलाने का अथक श्रम कर रही थी, उसके एकाकी पुत्र दुर्दम ने एक दिन अपने मित्रों से जाना कि नगर में राजा के अतिथि के रूप में एक नर्तकी आयी है और उसके नृत्य के समक्ष स्वर्ग की अप्सराओं का नृत्य भी फीका होता है।
यह सुनकर उसने एक दिन अपने मित्र से पूछा- "क्या तुमने नर्तकी को देखा है ?" __"हां, कल ही मैं उसका नृत्य देखने गया था। उसका नृत्य तो वैशाली की आम्रपाली से भी अनुपम है।"
"अरे, नृत्य को मार लात'''उसका रूप और यौवन कैसा है ?"
"महाराज ! क्या बताऊं? वह अनुपम है, उसकी छटा अलबेली है। उसकी आंखें मादक हैं और अभी १५-१६ वर्ष की है।"
"हं. 'मुझे एक बार देखना होगा।"
"प्रत्येक गुरुवार और रविवार को उसका नृत्य होता है, परन्तु आप कैसे...?"
"वेश बदल कर..." कुमार ने कहा।
२८. पहला शिकार कादंबिनी के रूप-यौवन के गौरव की चर्चा चारों ओर होने लगी। केवल दस दिनों में ही कादंबिनी से मिलने-जुलने वाले कहने लगे-'यह नवयौवना नर्तकी पूर्व भारत की श्रेष्ठतम सुन्दरी है । यदि यह सुन्दरी वैशाली में हो तो आम्रपाली का गौरव अवश्य ही धुंधला जाए।" ___ महामन्त्री चाहते थे कि कादंबिनी की ख्याति राजगृही नगरी की सीमा को पारकर पूर्व भारत में पूर्ण रूप से फैल जाए। शंबुक को नष्ट करने से पूर्व शत्रुराज्य वैशाली के कुछेक मूर्धन्य व्यक्तियों का सफाया किया जा सकता है और यदि ऐसा होता है तो वैशाली का गणतन्त्र कमजोर हो जाता है और फिर उसे हस्तगत करना कठिन नहीं होता।
परन्तु महामन्त्री को यह कल्पना नहीं थी कि जिस विषकन्या का निर्माण शत्रुओं को नष्ट करने के लिए हुआ है, वही विषकन्या घर को भी उजाड़ सकती
चार दिन और बीत गये। कादंबिनी के रूप-यौवन की प्रशंसा घर-घर होने लगी।