________________
( २७ ) नम्बर विषय
पृष्ट ३५-दुग्काल में दण्डा मृत्ति औरधर्मलाम के वि० उत्तर। २६०० ३६-लौकागच्छीय श्रीपूज्यों का अपमान ।
२६४ ३७-स्थानकवासी मत से जैनधर्म को नुकसान । ३८-ब्राह्मणों से जैन होने वालों का अपमान । २६८ ३९-पूज्यमघजी आदि ५०० लौंकों के साधुओं को जैनदीचा२७१ ४०-लौकागच्छाचार्य ने मूर्तिपूजा क्यों स्वीकारी। २७३ ४२-जीवाजी ऋषि को दीक्षा में लाख रुपये व्यय किये। २७३ ४२-अहमदाबाद में नौलखा उपाश्रय और स्वामि । प्रयागजी के समय अहमदाबाद में मात्र २५ घर
हूँढियों के थे इसी प्रकार बुरानपुर का भी हाल । २७४ ४३-शाह के तीन सुधारकों द्वारा समाज की हानी। २८० ४४-लबजी के नाना वीरजी का नबाब पर पत्र । २८३ ४५-दोनों सुधारकों को अपूर्णता-से नुकशान । २८४ ४३-लवजी के एक साधु के मृत्यु की घटना । ૨૮૮ ४७-अहमदाबाद का शास्त्रार्थ ।
२९२ ४८-पंजाब की पट्टवलि की समालोचना ।
२९६ ४९-परिशिष्ट में विविध विषय ।
३११ ५०-कडुाशाह की पट्टवलि को भूमिका ।
३२१ ५१-कडाशाह की पट्टवलि का सार ।
३२६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org