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अनकल या समनुरूप, बाद में आने वाला-यथाशास्त्र शः [ अनु+उत्+दिश्+घञ्] 'सापेक्ष क्रम एक मनु० ७।३१; 3 तलाश करना, ढूंढना, खोजना, जाँच | अलंकार का नाम जिसमें कि यथा क्रम पूर्ववर्ती शब्दोंका करना।
उल्लेख होता है;--ययासंख्यमनदेश उद्दिष्टानां क्रमेण अनुसारणा [अनु+स+णिच्+य+टाप् पीछे जाना, यत्-सा० द० ७३२।
पीछा करना-तस्मात्पलायमानानां कुर्यान्नात्यनुसार- | अनून (वि.) [न० त०] 1जो घटिया न हो, कम न हो, णाम् - महा० ।
अभाव वाला न हो-वृन्दावने चैत्ररथानने-रषु० अनुसूचक (वि.) [ अनु+सूच्+ण्वुल ] संकेत करने वाला, ६५०-गुणरनूना-रघु० ६।३७; 2 पूर्ण, समस्त, इशारा करने वाला।
सकल, बड़ा, महान् शि०४।११। अनुसतिः (स्त्री०) [ अनु+सृ+क्तिन् ] पीछे जाना, अनु- ] अनूप (वि.) [ अनुगता: आप: यस्मिन्--अनु+अप्+ गमन, अनुरूप होना, अनुसार होना।
अच्---ऊदनोर्देशे इति ऊ ] जलीय, जलबहुल अथवा अनुसन्यम् [प्रा० स०] सेना का पिछला भाग, अनुरक्षक
दलदल वाला प्रदेश–पः, पम् 1 जलबद्दल स्थान या सेना।
देश 2 एक देश का नाम (-पाः ब०व०)-रघु० अनुस्कंदम् (अव्य०) [अव्य० स०] क्रमशः प्रविष्ट होकर ६३७; 3 दलदल, कीचड़ 4पानी का तालाब 5 नदी क्रमानुसार अन्दर जाकर-गेहं गेहमनुस्कंदम्-सिद्धा।
का किनारा, पर्वत का पहल 6 भैस 7 मेंढक 8 एक अनुस्तरणम् [ अनु+स्तु+ ल्युट ] चारों ओर बखेरना या प्रकार का तीतर १ हाथी। सम-जम् आई, अदरक, फैलाना, –णो गाय, विशेषतया वह गाय जिसका
-प्राय (वि.) दलदल वाला, कीचड़ से भरा हुआ। बलिदान अंत्येष्टि संस्कार के समय किया जाय।
अनूयाज, अनूराषा-अनुयाज, अनुराधा । अनुस्मरणम् [अनु+स्म+ल्युट 1 फिर से ध्यान में लाना, अनूह (वि.) [न.ब.] जिसके जंघा न हो,-हः सूर्य का स्मरण करना, 2. बारंबार स्मरण करना ।
"सारथि अरुण (जिसका जंधारहित होने का वर्णन अनुस्मृतिः (स्त्री०) [अनु+स्मृ-क्तिन् ] 1 वह स्मृति या
पाया जाता है) उषा, दे० अरुण । सम-सारथि स्मरण जो प्रिय हो 2. अन्य विषयों को छोड़कर केबल
अनूरु जिसका सारथि है);-गतं तिरश्चीनएक ही बात का चिन्तन करना।
मनूरुसारथैः-शि० १।२। अनुस्यूत (वि.) [ अनु+सिव्+क्त-ऊठ ] 1 नियमित | अजित (वि०) [न ऊजित:-न० त०] 1 अशक्त,
तथा निर्बाध रूप से मिला कर बुना हुआ 2 सिला "दुर्बल, शक्तिहीन 2 दर्परहित ।
हुआ, बंधा हुआ, 3 सुषक्त और सुशृंखलित । | अनूषर (वि.) [न ऊषरः-न. त०] 1. रेहीला, बंजर जैसी अनुस्वानः [ अनु+स्वन्+घञ्] 1 अनुरूप शब्द करना (भूमि) दे० उत्तम और अनुत्तम 2 जिसमें रेह न हो।
2 बाद में शब्द करना, गूंज, दे० 'अनुरणन'। अनुच-च (वि.) [न० ब०] 1 बिना ऋचा का 2 जो अनुस्वारः [अनु+स्वृ+घञ्] नासिक्य ध्वनि जो पंक्ति के ऋग्वेद का ज्ञाता न हो, या ऋग्वेद का अध्येता न हो,
ऊपर एक बिन्दु लगा कर प्रकट की जाती है और जो यज्ञोपवीत न होने के कारण जिसे वेदाध्ययन का अधिसदैव पूर्ववर्ती स्वर से संबद्ध होती है।
कार न हो-अनुचो माणवकः-मुग्धः । अनुहरणम्, हारः [ अनु+ह+ ल्युट्, घा वा ] नकल, | अन्जु (वि.) [ न० त०] जो सरल न हो, कुटिल मिलना-जुलना, समानता।
(आलं), अयोग्य, दुष्ट, बेईमान । अनुकः,-कम् [ अनु+उच्+क, कुत्वम् नि०] 1 कुल, वंश | अनणं (वि.) [नव.] जो कर्जदार न हो-एनामनृणां
2 मनोवृत्ति, स्वभाव, चरित्र, वंश की विशेषता। करोमि-श०१-प्राणर्दशरथप्रीतेरनृणं (गधं)अनूचान (वि.)या -नः [ अनु+व+कान नि० ] 1 रघु० १२१५४; प्रत्येक द्विज को तीन ऋणों से उऋण
अध्ययनशील, विद्वान् विशेषतया वेद, बेदांगों में ऐसा होना पड़ता है ऋषि ऋण, देवऋण और पितृऋण । पारंगत विद्वान् जो उन्हें सुना सके और पढ़ा सके,- | जो व्यक्ति वेदाध्ययन करके यज्ञ में देवताओं का आवाइदमूचुरनूचाना:-कु० ६.१५; 2 सुशील।
हन करता है, और फिर गृहस्थाश्रम में रह कर पुत्र प्राप्त अनून (वि.) [ न० त०] 1 न ले जाया गया, 2 अवि- | करता है वही 'अनण' कहलाता है दे० रघु०८।२० ।
वाहित,-ढा अविवाहित स्त्री। सम० --मान (वि०) | अनुणिन् (वि०) [ न० त०]-अनृण । लज्जालु,-गमनम् (°ढा) कुमारी कन्या से संभोग, | अनत (वि.) [न० त०] 1 जो सत्य न हो, मिथ्या -भ्राता (पुं०) (°ढा) 1 अविवाहित स्त्री का भाई (शब्द) प्रियं च नानृतं ब्रूयात्---मनु० ४११३८, 2 राजा की उपपत्नी का भाई।।
---तम् असत्यता, झूठ बोलना, घोखा, जालसाजी 2 अनुदकम् [ उदकस्य अभाव: न० त०] जल का अभाव, कृषि (विप० 'सत्य') मनु० ४।५, । सम०-वदनम्, सूखा पड़ना।
--भावणम्,-आल्यानम् झूठ कहना, मिथ्या भाषण,
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