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श्रद्धालु 2 पश्चात्ताप करने वाला, पछताने वाला 3 | अनुष्ठातू,--ष्ठायिन् (वि०)[ अनु--स्था+तृच्, णिनि वा] अत्यधिक घृणा करने वाला 4 मानों किसी फल के | कार्य करने वाला, अनुष्ठान करने वाला। कारण संबद्ध।
अनुष्ठानम् [ अनु+स्था+ल्युट् ] 1 कार्य करना, धर्मकृत्य अनुशरः [ अनु+श+अच् ] भूत प्रेत, राक्षस ।
करना, कार्य में परिणत करना, कार्य निष्पादन, आज्ञाअनुशासक,शासिन् । (वि.) [अनु+शास्+ण्वुल, णिनि पालन, उपरुध्यते तपोऽनुष्ठानम्-श०४; धार्मिक तपशास्त,-शासितृ तृच् वा ] निदेशक, शिक्षक, शासन श्चर्याओं का प्रयोग 2 आरंभ, उत्तरदायित्व, कार्य में
करने वाला, दंड देने वाला-कवि व्यस्तता 3 आचरणपद्धति, कार्यपद्धति, 4 धार्मिक पुराणमनुशासितारम्-भग० ८९, संस्कारों या कृत्यों का प्रयोग । शासन कर्ता,-एष चोरानुशासी राजेति | अनुष्ठापनम् [ अनु+स्था+णि+ल्युट् ] कार्य कराना।
भयादुत्पतित:-विक्रम० ४। अनुष्ण (वि.) [न० त०] 1 जो गर्म न हो, ठंडा 2 वीतअनुशासनम् [अनु+शास्+ल्युट्] आदेश, प्रोत्साहन, शिक्षण
राग, सुस्त, शिथिल-ष्णः शीतस्पर्श,—णम् कुमुद, नियमों विधियों का बनाना-भवत्यधिक्षेप इवानु
नील कमल । शासनम्-कि० १।२८; आदेश या शिक्षा के शब्दः । अनुष्यंदः [अनु+स्यन्द्+घा पिछला पहिया।
-तन्मनोरनुशासनम्-मनु० ८।१३९; नामलिंग अनुसंधानम् [अनुसम् + घा+ल्युट्] 1 पृच्छा, गवेषण, संज्ञाओं के लिंग संबंधी नियमों का निर्धारण तथा
गहन निरीक्षण या परीक्षण, जांच 2 उद्देश्य 3 योजना, व्याख्या--शब्दानुशासनम-सिद्धा०।
क्रमबद्ध करना, तत्पर होना 4 उपयुक्त संयोग । अनुशिक्षिन [अनुशिक्ष+णिनि क्रियाशील, सीखने वाला ।। अनुसंहित (वि.)[ अनु+सम्+घा+क्त ] पूछताछ किया अनुशिष्टिः (स्त्री०) [अनुशास्+क्तिन्] शिक्षण, अध्यापन,
गया, जांच पड़ताल किया गया,-तम् (क्रि० वि०) आदेश, आज्ञा
संहिता-पाठ में, संहिता-पाठ के अनुसार । अनुशीलनम् [अनु+शील+ल्यूट] अभिप्रेत तथा श्रमपूर्ण | अनुसमयः [प्रा० स०] नियमित और उचित संयोग जैसे प्रयोग, सतत प्रयत्न या अभ्यास, सतत या बारंबार
कि शब्दों का। अभ्यास या अध्ययन ।
अनुसमापनम् [ अनु+सम् +आप+ल्युट् ] नियमितरूप से अनुशोकः,-शोचनम् [ अनु+शुच्+घञ, ल्युट् वा] रंज, किसी कार्य की समाप्ति ।
पश्चात्ताप, खेद, इसी अर्थ में अनुश (शो) चितम् । अनुसंबद्ध (वि.) [ अनु+सम् +बंध+क्त ] संयुक्त । अनुश्रवः [ अनु+श्रु+अच् ] वैदिक परंपरा।
अनुसरः [ अनु+सृ+अच् ] अनुगामी, साथी, अनुचर । अनुषक्त (वि०) [अनु+ष+क्त ] 1 संबद्ध 2 संलग्न अनुसरणम् [ अनु+सृ+ल्युट् ] 1 अनुगमन, पीछा करना, या संसक्त ।
पीछे जाना 2 समनुरूपता। अनुषंगः [ अनु+पंज+घञ ] 1 गहन लगाव, संबंध, सं- अनुसर्पः [अनु+सप्- अच् ] सर्पसदृश जन्तु, सरीसृप ।
योग, साहचर्य, 2 मेल 3 शब्दों का पारस्परिक संबंध अनुसवनम् (अव्य०) [प्रा० स०] 1 यज्ञ के पश्चात् 2 4 आवश्यक परिणाम 5 दया, तरस, करुणा ।
प्रत्येक यज्ञ में 3 प्रतिक्षण । अनुषंगिक (वि.) [अनुषंग-1] अनिवार्य फलस्वरूप, | अनुसाम (वि०) [प्रा० स०] मनाया हुआ, मित्र सदृश, सहवर्ती।
अनुकूल। अनुषंगिन् (वि.) अनु+पंज+णिनि ] 1 संबद्ध, अनुरक्त, | अनुसायम् (अव्य०) [प्रा० स०] प्रति सांयकाल ।
संसक्त 2 अनिवार्य परिणाम के रूप में आने वाला, 3 | अनुसूचनम् [अनु+सूच-+ ल्युट् ] संकेत करना, इशारा व्यावहारिक, सामान्य, छा जाने वाला-विभुतानुषंगि | करना। भयमेति जनः-कि०६।३५ ।
अनुसारः [ अनु+स+घञ्] 1 पीछे जाना, अनुगमन अनुषंजनोय (वि०) [ अनु+पंज्+अनीय ] (शब्द की (आलं. भी), पीछा करना-शब्दानुसारेण अवभांति) पूर्ववाक्य से ग्राह्य ।
लोक्य-श०७; जिधर से आवाज आ रही थी उस अनुषेकः, सेचनम् [ अनु+सिच्+घञ युट् वा] दोबारा ओर देखते हुए 2 समनुरूपता, के अनुसार, प्रयोग के पानी देना, फिर से जल छिड़कना ।
अनुरूप, 3 प्रथा, रिवाज, रस्म 4 माना हुआ अनुष्टुतिः (स्त्री०) [अनु- स्तु+क्तिन् ] प्रशंसा, सिफा- अधिकार। रिश (क्रमानुसार)।
अनुसारक, सारिन (वि०) [ अनु+सृ+-वुल् णिनि वा] अनुष्टुभ् (स्त्री०) [ अनु+स्तुभ् +क्विप् ] 1 प्रशंसा में 1 अनुगामी, पीछा करने वाला, पीछे जाने वाला, सेवा
अनुगमन, वाणी 2 सरस्वती 3 बत्तीस अक्षरों का एक करने वाला ---मगानुसारिणं पिनाकिनम-श० श६; छंद जिसमें आठ २ अक्षरों के चार २ पाद होते हैं। -कृपणानुसारि च घनम्-पंच० श२७८; 2 के
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