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अनुयोगः [ अनु+ युज्+घञ्] 1 प्रश्न, पृच्छा, परीक्षा | १९२; 3 आग्रहपूर्वक प्रार्थना, याचना, निवेदन 4
2 निंदा, झिड़की 3 याचना 4 प्रयास 5 धार्मिक चिन्तन | नियम का पालन । टीका-टिप्पण । सम०-कृत् (पु०) 1 प्रश्नकर्ता 2 | अनुरोधिन्-धक (वि.) [अनुरोध+णिनि, अनिरुध+ अध्यापक, अध्यात्म गुरु।।
पबुलविनयी। अनुयोजनम् [ अनु+युज+ल्युट् ] प्रश्न, पच्छा। . अनुलापः [अनु+लप्+घञ्] आवृत्ति, पूनरुक्ति । अनुयोज्यः [ अनु+युज् + ण्यत् ] सेवक ।।
अनुलासः,–स्यः [अनुलस्+घञ यत् वा] मोर। अनुरक्त (वि.) [अनु+रंज्+क्त ] 1 लाल किया हुआ, | अनुलेपः लेपनम् [अनु+लिप्+घञ, ल्युट वा] 1 अभिरंगीन 2 प्रसन्न, संतुष्ट, निष्ठावान् ।
षेक, तेलमर्दन 2 सुगंधित लेप, उबटन-सुरभिकुसुमअनुरक्तिः (स्त्री०) [ अनु+रं+क्तिन् ] प्रेम, आसक्ति, धूपानुलेपनानि-का० ३२४ । अनुराग, स्नेह ।
अनुलोम (वि०) [प्रा० स०] 1 'बालों से-ऊपर से नीचे अनुरंजक (वि.) [ अनु+रंज्+ण्वुल् ] प्रसन्न करने की ओर आने वाला-नियमित, स्वाभाविक क्रमावाला, सन्तुष्ट करने वाला।
नुसार (विप० प्रतिलोम), (अट:) अनुकूल-कृष्टं अनुरंजनम् [ अनु+रं+ल्युट् ] संराधन, सन्तुष्ट करना, क्षेत्र प्रतिलोमं कर्षति-सिद्धा०, नियमित दिशा में सुख देना, प्रसन्न करना, सन्तुष्ट रखना।
हल चलाया हुआ; 2 मिश्रित (जैसे कि जाति)-मम् अनुरणनम् [ अनु+रण+ल्युट ] 1 अनुरूप लगना, नूपुर
(क्रि० वि०)स्वाभाविक या नियमित क्रम में -मा. या घूघरुओं की आवाज से उत्पन्न अनवरत प्रति
(ब० व०) मिश्रित जातियां। सम–अर्थ (वि०) ध्वनि, 2 'व्यंजना' नामक शब्द शक्ति, तु०, वास्त- पक्ष में बोलने वाला,-जडानप्यनुलोमार्थान् प्रवाच: विक कथन से व्यंजित होने वाला अर्थ व्यंग्य-क्रम
कृतिनां गिरः-शि० २।२५,--ज,-जन्मन् (वि.) लक्ष्यत्वादेवानुरणनरूपो यो व्यंग्य:-सा० द०४।
ठीक क्रम में उत्पन्न, उच्चवर्ण के पिता तथा नीचवर्ण अनुरतिः (स्त्री०) [ अनु+रम् + क्तिन् ] प्रेम, आसक्ति ।
की माता से उत्पन्न सन्तान, मिश्रित जाति का । अनुरथ्या [ प्रा० स० ] पगडंडी, उपमार्ग ।
अनुल्वण (वि.) [न० त०] 1 अधिक नहीं, न कम न अनुरसः,-सितम् [ प्रा० स०] गूंज, प्रतिध्वनि।
अधिक 2 स्पष्ट या साफ नहीं। अनुरहस (वि.) [प्रा० स० ] गुप्त, एकान्तप्रिय, निजी,
अनुवंशः [प्रा० स० वंशतालिका।। -सं (क्रि० वि०) एकान्त में।
अनुवक्र (वि०) [प्रा० स०] अत्यंत टेढ़ा, कुछ टेढ़ा या अनुरागः [ अनु+रंज्+घञ ] 1 लालिमा 2 भक्ति,
तिरछा। आसक्ति, निष्ठा, (विप० अपरागः)प्रेम, स्नेह (अधि०
अनुवचनम् [ अनु+वच् + ल्युट् ] आवृत्ति, सस्वर पाठ, के साथ या समास में) कंटकितेन प्रथयति मय्यनुरागं
अध्यापन। कपोलेन---श० ३।१५, रघु० ३।१०, इंगित संकेत
अनुवत्सरः [प्रा० स०] वर्ष । या प्रेम को प्रकट करने वाला एक बाह्यसंकेत ।
अनुवर्तनम् [ अनु+वृत्+ ल्युट् ] 1 अनुगमन (आलं. अनुरागिन् । (वि.)[अनुराग+णिनि, मतूप वा] आसक्त, भी), अनुवर्तिता, आज्ञाकारिता, अनुरूपता 2 प्रसन्न अनुरागवत् । प्रेम से उत्तेजित ।।
करना, अनुग्रह करना 3 स्वीकृति 4 फल, परिणाम अनुरात्रम् [क्रि० वि०] [अव्य० स०] रात में, हर रात, 5 पूर्वसूत्र से पूर्तिकरना। प्रति रात्रि।
अनुवतिन् (वि०) [ अनु+वृत्+णिनि] 1 अनुगामी, अनुराधा [प्रा० स०] २७ नक्षत्रों में से सतरहवा नक्षत्र, आज्ञाकारी 2 अनुरूप (कर्म के साथ या समास में)। यह चार नक्षत्रों का समूह है।
अनुवश (वि०) [प्रा० स०] दूसरे की इच्छा के अधीन, अनुरूप (वि.) [प्रा० स०] 1 सदृश, मिलता-जुलता, आज्ञाकारी-शः अधीनता, आज्ञाकारिता।
तदनुरूप, योग्य, अनुरूपं वरम्-श०१, 2 उपयुक्त | अनुवाकः [अनु+वच्+घा] 1 आवृत्ति करना 2 वेद या योग्य, अनुकूल, ( संब० के साथ या समास के उपभाग, अनुभाग, अध्याय । में) -भव पितुरनुरूपस्त्वं गुणैर्लोककांत:-विक्रम० अनुवाचनम् [अनु+व+णिच् + ल्युट्] 1 सस्वर पाठ ५।२१।
कराना, अध्यापन, शिक्षण 2 स्वयं पाठ करना, दे. अनुरूपम्,-पतः) (क्रि० वि०) समनुरूपता या अभिमति- 'बच्' अनु के साथ। -पेण,-पशः पूर्वक ।
अनुवातः[प्रा० स०] वह दिशा जिस ओर की हवा हो। अनुरोधः-धनम् [अनु + रुध्न-घज , ल्युट् वा] 1 विनय, अनुवावः [ अनु+व+घञ ] 1 सामान्य रूप से
आराधना, इच्छापूर्ति करना 2 समरूपता, आज्ञापालन, आवृत्ति 2 व्याख्या, उदाहरण, या समर्थन की दृष्टि से लिहाज, विचार-धर्मानुरोधात्-का० १६०, १८०, । आवत्ति 3 व्याख्यात्मक आवृत्ति या पूर्वकथित बात का
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