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प्रवचन-४
४४ मनपसन्द पत्नी चाहिए, मुझे दे दो! मुझे स्वर्ग में जाना है, वहाँ ले चलो! मुझे मोक्ष चाहिए, मुझे मोक्ष दे दो।' इस प्रकार माँगने से कुछ मिलने का नहीं। धर्म के पास माँगने से कुछ नहीं मिलेगा, धर्म का आचरण करने से सब कुछ मिलेगा। ___ जटाशंकर बीमार पड़ा। अकेला था, दवाई कौन लाकर दे उसको? इतने में एक फकीर भिक्षा माँगने जटाशंकर के घर आया। जटाशंकर को बीमार देखकर फकीर ने कहा : 'दवाई से अच्छा हो जाएगा।' इतना कहकर फकीर चला गया। जटाशंकर ने सोचा : 'दवाई से अच्छा होगा, तो मुझे दवाई के पास जाना चाहिए।' वह बिस्तर से उठा और धीरे-धीरे दवाई की दुकान पर गया । दवाइयों के सामने हाथ जोड़कर बोला : 'तुम्हारे प्रभाव से बीमारी चली जाती है, तो हे दवा देवी, तुम कृपा करके मेरी बीमारी दूर कर दो!' धर्म की बातें करने से सुख नहीं मिलेगा : ___ धर्म के विषय में ऐसी मूर्खता मत करना। धर्म से सभी प्रकार के सुख मिलते हैं, परन्तु मात्र बातें करने से नहीं मिलेंगे। आज मनुष्य बातें तो बहुत करता है। धर्म की बातें काफी हो रही हैं, परन्तु धर्माचरण कम हो गया है। यदि धर्म की क्रियाएँ होती हैं तो धर्म के विचार नहीं होते! विचार होते हैं पाप के और क्रिया होती है धर्म की! __'धर्म से धन मिलता है', यह सुनकर आपने क्या सोचा? आज सुबह परमात्मा की पूजा करो और मध्याह्न जब बाजार में जाओ तब ढेर सारे रूपये मिल जाय ऐसा आज प्रातः दान दिया और आज ही संपत्ति मिल जायँ-ऐसा? आज उपवास किया, आयंबिल किया और आज ही किसी मनचाही लड़की से सगाई हो जाय ऐसा? आज अणुव्रत या बारह व्रत धारण किए और आज ही स्वर्ग में चले जाओ-ऐसा? क्या सोचते हो आप? आज चारित्र्यधर्म स्वीकार किया और आज ही मोक्ष मिल जाय ऐसा? दिमाग तो ठिकाने है न? 'धर्म से मोक्ष मिलता है-' इस विधान का मर्म समझे हैं आप? धर्म से स्वर्ग मिलता हैइस प्रतिपादन का रहस्य समझे? ज्ञानी पुरुषों के वचन बहुत गंभीर होते हैं। मात्र शब्द का अर्थ कर लेने से सच्चा रहस्य नहीं मिलता। शब्द पर गंभीरता से, सूक्ष्मता से चिन्तन-मनन करना होगा।
आपको तो सुख पाने की जल्दबाजी है! तत्काल सुख मिल जाय वैसा उपाय आपको चाहिए-सच है न? डॉक्टर कैसा पसन्द करते हो आप? 'दवा
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