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प्रवचन- ८
पेथड़शाह के विरुद्ध साजिश :
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राजा जयसिंह बुद्धिमान था । वह समझता था कि पेथड़शाह की कीर्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, राज्य की प्रजा का पेथड़शाह के प्रति अपार स्नेह बढ़ रहा है, इससे दूसरे राजपुरुषों में ईर्ष्या पैदा हुई है। दूसरे की उन्नति देखकर, दूसरे का विकास देखकर प्रसन्न होनेवाले मनुष्य कम होते हैं संसार में। ईर्ष्या से प्रेरित मनुष्य मिथ्या आरोप मढ़ने को तैयार होता है । यशकीर्ति के शिखर से गिराने के लिए वह अपना प्रयत्न करता रहता है । राजा ने राजपुरुषों की बात सुन ली। राजपुरुषों ने कहा : 'महाराजा, महामंत्री परमात्मा के पूजन के निमित्त मध्याह्न के समय मन्दिर जाते हैं, वहाँ दूसरे शत्रुराजाओं से मिलते हैं और आपके विरुद्ध षड्यंत्र रचा जाता है। आप महामंत्री पर इतना ज्यादा विश्वास नहीं करें ।'
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राजा को इन राजपुरुषों की बातों से महामंत्री की निष्ठा में जरा भी संदेह नहीं आया। राजपुरुषों को विदा कर, राजा ने मध्याह्न के समय उस जिनमंदिर जाने का सोच लिया, जिस मंदिर में महामंत्री पूजन करने प्रतिदिन जाया करते थे। जब वे मंदिर पहुँचे, उन्होंने मंदिर में जाकर जो दृश्य देखा, उनको हर्ष से रोमांच हो गया, आँखें हर्षाश्रु से गीली हो गई। मंदिर में प्रशमरस से परिपूर्ण परमात्मा की सुन्दर प्रतिमा थी । प्रतिमा के सामने महामंत्री पेथड़शाह अप्रमत्त और एकाग्र होकर बैठे थे और पुष्पपूजा कर रहे थे। परमात्मा को सुगंधित पुष्पों से सजा रहे थे। पेथड़शाह के पास एक आदमी पुष्पों का थाल लेकर बैठा था, वह पुष्पों को अनुक्रम से जमाता था और पेथड़शाह पुष्पों से परमात्मा को सजाते थे। पेथड़शाह की दृष्टि परमात्मा की पावनकारी प्रतिमा पर स्थिर थी । शुद्ध घी के दीपक जल रहे थे । सुगंधिता धूप की सुवास से मंदिर सुवासित था । इतना आह्लादक वातावरण था कि राजा जयसिंह के तन-मन प्रफुल्लित हो गए । जरा भी आवाज न हो, उस प्रकार राजा महामंत्री के पास पहुँच गया । इशारे से उस आदमी को वहाँ से हटाकर राजा स्वयं वहाँ बैठ गया । राजा पुष्पों को अनुक्रम से जमाने का प्रयत्न करने लगा, परन्तु जमा नहीं पाया । पेथड़शाह के हाथ में जब गलत क्रम का पुष्प आया तब उन्होंने पास में देखा ! अपने आदमी की जगह महाराजा को बैठे देखकर महामंत्री क्षणभर तो देखते रहे, परन्तु तुरन्त ही राजा ने उस आदमी को बिठा दिया और महामंत्री से पुष्पपूजा पूर्ण करने को कह कर राजा मंदिर के बाहर आ गए। राजा के मन में अनेक विचार आए :