________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन-२२
३०२ छोटे-छोटे बच्चे भी अभिमान के पुतले :
आज के युग की यह वास्तविकता बन गई है-छोटा हो या बड़ा, स्त्री हो या पुरुष, थोड़ा-बहुत अभिमान देखने को मिलेगा ही! अहमदाबाद में एक परिवार को मैं जानता हूँ। उस परिवार में एक छोटा-सा तीन-चार साल का लड़का था। यदि उस लड़के की माँ ने लड़के को कभी एकाध थप्पड़ मार दिया, जब तक लड़का माँ को एकाध धक्का नहीं मारता, उसको नींद नहीं आती! क्या था लड़के के मन में? 'मुझे माँ ने क्यों मारा?' यह अभिमान नहीं तो क्या है?
ऐसा ही एक किस्सा दूसरे परिवार का है। लड़का होगा दस-ग्यारह साल का। अपने पिता से कहता है : 'डेडी, मुझे दो रूपया दे दो। हमारे क्लासटीचर ने मँगवाया है।' पिता ने पूछा : 'क्यों?' लड़के ने कहा : 'हमारे क्लास के लड़कों को एक पिक्चर देखने जाना है।' पिता ने कहा : 'नहीं, वैसा पिक्चर नहीं देखने का है। मैं रूपये नहीं दूंगा।' तो लड़के ने तनकर, जोश में कह दिया : 'डेडी, मुझे आपके रूपये नहीं चाहिए, मत देना, मैं स्टेशन पर जाकर मजदूरी करूँगा, पैसा कमाऊँगा और पिक्चर देखने जाऊँगा। 'कॉन्वेन्ट' स्कूलों का मोह :
पिता और माता, दोनों लड़के को देखते रहे गए। लड़का जो कि 'कॉन्वेन्ट' में पढ़ता था, अभिमान का मूर्तरूप था। माता-पिता का 'कोन्वेन्ट' स्कूल का मोह उतर गया। आजकल बड़े शहरों में बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की 'कान्वेन्ट' स्कूलों में भेजने का 'फैशन' बन गया है। 'हम संपन्न परिवार के हैं...'-यह प्रदर्शन करने का यह एक मार्ग है। __आप लोगों के दिमाग में बात ठीक लगती है? कुछ गंभीरता से सोचोगे या नहीं? यदि सोचोगे नहीं और इस बुराई से मुक्त होने का निर्णय नहीं करोगे, तो निकट के भविष्यकाल में घोर संकट में फँस जाओगे | शतमुखी पतन होगा। अभिमानी को अपनी खुशामद प्यारी होती है :
अभिमान में से क्रोध उत्पन्न हो जाता है। अभिमानी के अभिमान को जब टक्कर लगती है, तब क्रोध उत्पन्न हो जाता है। भारवि को वैसा ही हुआ । पिता की सच्ची बात भी उसको पसंद नहीं आई! कैसे आती? अभिमानी को सच्ची बात पसन्द नहीं आती, उसको तो स्वप्रशंसा ही पसन्द आती है। खुशामद ही पसन्द आती है। जो उसकी बात में 'हाँ जी', 'हाँ जी' करता रहे,
For Private And Personal Use Only