Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 320
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-२३ ३१२ बिग्रेड' - दमकल है | यदि यह बात समझ लो तो काम हो जाय। किसी भी वस्तु में, किसी भी पदार्थ में अच्छाई या बुराई नहीं है। प्रिय और अप्रिय की अपनी अपनी कल्पनाएँ हैं । इन कल्पनाओं में से सुख-दुःख की कल्पनाएँ उत्पन्न होती है। कुछ उदाहरण से यह बात समझाता हूँ। आप एक छोटे-से मकान में रहते हो, मकान में उतनी सुख-सुविधाएँ भी नहीं हैं, आपको पसन्द नहीं है, आप सोचते हो कि 'कोई अच्छा मकान मिल जाए, सुविधाओं वाला मकान मिल जाए तो अच्छा, परन्तु वैसा मकान लेने के लिए रूपये चाहिए, उतने रूपये पास में नहीं।' एक मकान जो कि आपके पास है, आपको बुरा लग रहा है, जो मकान आपके पास नहीं है, परन्तु सुख-सुविधाओं वाला मकान अच्छा लगता है-यह क्या है? मकान में अच्छाई या बुराई, आपकी कल्पनामात्र है! मकान में अच्छाई होती तो सभी को मकान अच्छा लगता, मकान में बुराई होती तो सभी को मकान बुरा लगता, परन्तु ऐसा नहीं है, जो मकान आपको अच्छा लगता है, दूसरे को बुरा लगता है! जो आपको बुरा लगता है, दूसरे को अच्छा लगता है! __जो भोजन आपको प्रिय लगता है, दूसरे को अप्रिय भी लगता है! आपको भींडी की सब्जी प्रिय लगती है, आपके भाई को भींडी की सब्जी देखते ही उल्टी होने लगती है! आपको रसगुल्ले बहुत प्रिय हैं, तो आपकी पत्नी उस रसगुल्ले को देखना भी पसंद नहीं करती। यह क्या है? यदि भिंडी में बुराई होती तो सबको अप्रिय लगती...यदि रसगुल्ले में अच्छाई होती तो सभी को रसगुल्ले प्रिय लगते। परन्तु ऐसा नहीं होता। क्योंकि पदार्थ तो अपने-अपने स्वभाव में स्थित हैं। प्रिय और अप्रिय की कल्पना जीवात्मा करता रहता है, इससे राग और द्वेष के द्वन्द्व बने रहते हैं | सुख और दुःख की कल्पनाएँ बनी रहती हैं। इसलिए कहता हूँ कि व्यर्थ के राग-द्वेष छोड़ो, तत्त्वसारा उपेक्षा भावना अच्छी तरह आत्मसात् करो | मध्यस्थ भाव को स्थिर करने का प्रयत्न करो। 'यह अच्छा और यह बुरा-' इस कल्पना-जाल को ही नष्ट कर दो। कोई वस्तु अच्छी-बुरी नहीं है। अपने राग-द्वेष से उत्पन्न कल्पनाएँ ही हैं | व्यर्थ की कल्पनाएँ कर के क्यों अशान्त बनते हो? अपनी आत्मा के साथ प्रेम किया है ? चेतन जीवों के प्रति करुणासारा उपेक्षा और अनुबन्धसारा उपेक्षा-भावना For Private And Personal Use Only

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