Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 324
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-२३ ३१६ परिणाम और विनाशक आयेगा। जो आत्मज्ञानी नहीं हैं और वैज्ञानिक बन गए, वे संसार के तारणहार नहीं बनेंगे, वे संसार के संहारक बनेंगे। __आत्मज्ञानी ही संसार के सर्व जीवों के प्रति प्रेम कर सकता है, करुणा प्रवाहित कर सकता है। विज्ञानी की दृष्टि प्रेम की होती ही नहीं। उनकी दृष्टि में तो पदार्थ और पदार्थों के पृथक्करण होते हैं। इस पदार्थ में इतने-इतने 'केमिकल्स' हैं...इसका ऐसा असर...इसका वैसा असर...बस, पदार्थ का विश्लेषण कर के रख देंगे। ___ आत्मज्ञानी सर्व जीवों में अपने समान आत्म-तत्त्व का दर्शन कर, सर्व जीवों के प्रति प्रेम मैत्री का भाव रख सकता है। वैज्ञानिक कौन-सा भाव रखेगा? इसलिए भारतीय संस्कृति और सभ्यता की नींव है आत्म-ज्ञान | इस देश में बच्चे को झूले में भी आत्मज्ञान के गीत सुनाये जाते थे...। व्यवहारिक शिक्षा के साथ यह ज्ञान दिया जाता था। आजकल आप लोग क्या अपने बच्चों को आत्मज्ञान देते हो? सभा में से : हम लोगों के पास ही आत्मज्ञान नहीं है...हम कैसे देंगे अपनी संतानों को आत्मज्ञान? महाराजश्री : आत्मज्ञान के बिना, आत्मा का चैतन्य और आत्मा का एकत्व समझे बिना, आत्मा से प्रेम किये बिना, कोई भी धर्मक्रिया फलवती नहीं बनेगी। आत्मविशुद्धि का फल प्राप्त नहीं होगा | जीवन-व्यवहार में आप सच्ची शान्ति, आंतर प्रसन्नता प्राप्त नहीं कर सकोगे। इसलिए पुनःपुनः कहता हूँ कि आत्मप्रेमी बनो, आत्मज्ञानी बनो । आत्मा के एकत्व का चिन्तन कर, संसार के सारे संबंधों का खोखलापन समझ लो। संसार का कोई संबंध वास्तविक नहीं है। इतना जानने पर, इन बातों को हृदयस्थ भाव आये बिना नहीं रहेगा। 'वह मेरा कहा नहीं मानता है, न मानें, मेरा उससे क्या लेना देना है? मेरा उससे क्या वास्ता है? उसका भला हो?!' ___ माध्यस्थ्य-भावना का अभ्यास मनुष्य को अच्छा विरागी बनाता है। विरागी के पास माध्यस्थ्य-भावना होनी ही चाहिए! इष्ट विषयों के संयोग और वियोग में रागरहित और शोकरहित बने रहने के लिए माध्यस्थ्य यानी उपेक्षा-भावना नितान्त आवश्यक है। अनिष्ट विषय के संयोग और वियोग में भी राग-द्वेष से बचना अनिवार्य होता है। उपेक्षा-भावना से विरागी आत्मा राग-द्वेष से बच सकती है। For Private And Personal Use Only

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