Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 319
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रवचन- २३ उपेक्षा- भावना का चौथा प्रकार : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३११ चौथी उपेक्षा- भावना है तत्त्वसारा उपेक्षा । ‘षोड़शक' ग्रंथ में आचार्य भगवंत हरिभद्रसूरिजी ने उपेक्षा - भावना के ये चार प्रकार बताये हैं। इतना सुन्दर विश्लेषण किया है उन्होंने कि आज का बड़े से बड़ा मनोवैज्ञानिक भी ऐसा विश्लेषण नहीं कर सकता! ‘षोड़शक' ग्रन्थ अद्भुत ग्रन्थ है। आत्मसाधना के मार्ग में, जैनशासन को समझने के लिए, यह ग्रन्थ अच्छा मार्गदर्शक बन सकता है। आप लोगों को तो पढ़ने की फुरसत कहाँ? सुनने का समय भी कहाँ है ? उपेक्षा - भावना बता रहे हैं। चौथा प्रकार है तत्त्वसारा उपेक्षा। वस्तु स्वभाव को कहते हैं तत्त्व । हर वस्तु का अपना स्वभाव होता है। वस्तु का सच्चा ज्ञान उसके स्वभाव के ज्ञान से होता है । संसार की कोई भी मनोज्ञ-अमनोज्ञ, अच्छी या बुरी वस्तु में राग या द्वेष उत्पन्न करने की क्षमता नहीं है। राग या द्वेष उत्पन्न होते हैं जीव की मोहदशा में से। मोहविकार से राग-द्वेष उत्पन्न होते हैं। पदार्थ का स्वभाव ही नहीं कि वह जीव में राग-द्वेष उत्पन्न करे। यह एक पारमार्थिक सत्य है । जो मनुष्य इस पारमार्थिक सत्य को नहीं जानता है, वह अज्ञानी है । अज्ञानी जीव पदार्थों में राग-द्वेष की उत्पादकता मानता है। कभी रागी बनता है, कभी द्वेषी बनता है। अपने आपको मध्यस्थ नहीं रख सकता । सुखदुःख का कारण : स्वयं के रागद्वेष : कोई भी परपदार्थ जीवात्मा के सुख-दुःख का कारण नहीं है । यह वास्तविक सत्य है। इस सत्य को समझनेवाला ज्ञानी पुरुष किसी परपदार्थ पर आरोप नहीं मढ़ता कि 'यह पदार्थ मुझे मिला इसलिए मैं सुखी और यह पदार्थ मुझे नहीं मिला इसलिए मैं दुःखी ।' किसी भी पदार्थ में वह अपराध नहीं देखता, किसी भी वस्तु में वह उपकार नहीं मानता । सुख-दुःख के कारण वह अपने ही राग-द्वेष को मानता है । एक वस्तु अच्छी है इसलिए अपन को प्रिय नहीं लगती है, अपन में राग है इसलिए वस्तु प्रिय लगती है। एक वस्तु अच्छी नहीं है खराब है, इसलिए अप्रिय नहीं लगती, हम में द्वेष की वासना पड़ी हैं इसलिए अप्रिय लगती है । इस प्रकार ज्ञानीपुरुष अपने आपको राग-द्वेष से बचा लेते हैं। इसको कहते हैं तत्त्वसारा उपेक्षा भावना । For Private And Personal Use Only यह बात तात्त्विक है, फिर भी आप लोगों को समझने की है। बहुत अच्छी बात है। राग और द्वेष के दावानल को बुझाने हेतु यह बात 'फायर


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