Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 316
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-२३ ३०८ जाये। इसलिए हरिभद्रसूरिजी कहते हैं कि किसी को रास्ते पर लगाने के पश्चात् यदि उस व्यक्ति की क्षमता नहीं है आपका उपदेश ढोने की, तो उसको उपदेश देना छोड़ दो, उसमें आप रुचि ही मत रखो । उसको जॅचे वैसे करने दो, उसको जॅचे उस रास्ते पर चलने दो। उसके पीछे मत पड़ जाओ। उपेक्षा-भावना का तीसरा प्रकार : उपेक्षा-भावना का तीसरा प्रकार है 'निर्वेदसारा' | यह उपेक्षा दुसरे मनुष्यों के प्रति नहीं है, परन्तु प्राप्त-अप्राप्त भौतिक-सांसारिक सुखों के प्रति है। मनुष्य के ही भौतिक सुख नहीं, देवों के भी भौतिक सुखों में असारता और क्षणिकता का दर्शन करने से निर्वेद आ जाता है। विरक्ति आ जाती है। देवगति, मनुष्यगति, तिर्यंचगति और नरकगति-इन चार गतियों में परिभ्रमण करते हुए जीव जो अनेक प्रकार की घोर वेदनाएँ अनुभव करते हैं, उसे ज्ञानदृष्टि से देखनेवाले लोग संसार के वैषयिक सुखों के प्रति आकर्षित नहीं होते हैं। निर्वेदसार-उपेक्षा सुखों की उपेक्षा है। वैषयिक सुखों की उपेक्षा! सुख के साधन पास में होने पर भी कोई लगाव नहीं। पांच इन्द्रियों के उत्कृष्ट विषय क्यों न हो, उन विषयों के प्रति कोई मानसिक आकर्षण नहीं। देवलोक का देव इस धरा पर उतर आए और 'ऑफर' करे दैवी सुखों की, तो भी कोई आसक्ति नहीं। आजकल तो देवलोक के देव इस धरती पर आते नहीं, परन्तु प्राचीनकाल में धर्मात्माओं के धर्मप्रभाव से देव आते थे और कुछ चमत्कार बताते थे। शास्त्रों में ऐसे उदाहरण पढ़ने को मिलते हैं। जो सच्चे धर्मात्मा होते हैं वे दैवीसुखों के प्रलोभनों के सामने भी विरक्त बने रहते हैं यानी आकर्षित नहीं होते हैं। ऐसे धर्मात्माओं में यह 'निर्वेदसारा' उपेक्षा होती है। उन्होंने गहरा चिंतन-मनन कर वैषयिक सुखों की 'क्वालिटी' को जान लिया होता है। कोई भी इन्द्रिय का विषय हो, वह निःसार होता है और क्षणिक होता है। वैषयिक सुखों में कोई सार नहीं होता है। सुखों के प्रति निर्वेद जगा है ? __ आप लोगों को तो सार लगता है न? कभी आपने इस विषय में चिंतनमनन ही नहीं किया होगा। संसार के सुखों की 'क्वालिटी' को परखो । वे सुख सार हैं या असार हैं? वे सुख क्षणिक हैं या शाश्वत् हैं | परख कर लेना अति आवश्यक है। आपके पास बुद्धि है, आप लोग विचार कर सकते हो। यदि For Private And Personal Use Only

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