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प्रवचन-११
१३९ आप आत्मचिंता करते हो कभी? __इस प्रकार की आत्मचिंता होती है सही? मकान में 'लाइट-फिटिंग' करवाया हो, 'मीटर' भी लग गया हो, 'स्वीच' 'ओन' करने पर प्रकाश नहीं होता हो तो तुरन्त जाँच करते हो न? विचार आता है न कि 'फिटिंग' हो गया है, 'स्वीच बोर्ड' लग गया है, 'मीटर' लग गया है, फिर भी प्रकाश क्यों नहीं होता? 'पावर हाऊस' के रिपेरर को बुलाकर पूछते हो न? वह आकर, सब कुछ देखकर आपको कहे कि 'लाइट कहाँ से होगी? आपने ‘पावर हाऊस' से 'कनेक्शन' तो लिया नहीं है।' ___ मानो कि 'कनेक्शन' ले लिया है परन्तु 'लाइट-फिटिंग' ठीक नहीं हुआ है तो भी प्रकाश नहीं होगा! गलती कहाँ है, खोजो । वर्षों से धर्मक्रियाएँ करने पर भी आत्मा में ज्ञानप्रकाश नहीं हो रहा है, आत्ममंदिर में अंधेरा ही छाया हुआ है, तो आपको चिन्ता होनी चाहिए। होती है चिन्ता? अपनी आत्मा की ओर देखते हो? सारी दुनिया को देखते हो, अपनी ही आत्मा को नहीं देख रहे हो! कितने बुद्धिमान हो आप लोग? टूटे हुए दो रूपये के स्लीपर की चिन्ता हो जाती है, मूल्यवान आत्मा के प्रति लापरवाही? याद रखो, यदि आप स्वयं अपनी आत्मा की चिन्ता नहीं करोगे तो दुनिया में कोई आपकी आत्मा का उद्धार नहीं कर सकेगा।
जरा ध्यान से देखो कि आत्मा की वर्तमान स्थिति कैसी है? धर्मक्रियाएँ करते हो, फिर भी जीवन-व्यवहार में और मन के विचारों में प्रकाश आया? नहीं, अन्धकार ही अन्धकार! तलाश करो, परमात्मा के 'पावर हाऊस' के साथ 'कनेक्शन' तो सलामत है न? परमात्मा के साथ संबंध जोड़ने का तरीका :
सभा में से : 'कनेक्शन' लिया ही नहीं है, फिर सलामती का सवाल ही नहीं उठता है!
महाराजश्री : बुद्धिमान हो न! जब तक आत्मा का परमात्मा के साथ हृदय की भूमिका पर प्रीति-भक्ति का संबंध स्थापित न हो, तब तक परमात्मा द्वारा बताई हुई मोक्षमार्ग की आराधना कैसे हो सकती है? प्रत्येक धर्मानुष्ठान में विधि-विधान का 'फिटिंग' ठीक ढंग से कैसे हो सकता है? दोनों बातें अपेक्षित हैं, 'फिटिंग' और 'कनेक्शन'! दोनों में से एक भी नहीं हो तो प्रकाश नहीं हो सकता। दोनों काम करने के हैं। मेरी राय तो यह है कि पहले 'कनेक्शन' ले
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