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प्रवचन-१८
२४३ अभ्यास से जड़-राग मिटाया था और मैत्री, करुणा आदि भावनाओं से जीवद्वेष दूर किया था उस महान श्रावक ने | धनवान होने पर भी धनप्रेमी नहीं था । श्रीमंत होने पर भी लक्ष्मीदास नहीं था। सुव्रत श्रेष्ठि तो परमात्मा के ध्यान में लीन हो गये! चोरों को तो मजा आ गया होगा न? धनमाल की गठरियाँ सिर पर उठाकर वे जाने लगे, परन्तु जाएँ कैसे? हवेली के द्वार पर ही चारों चोर चिपक गये! पैर जमीन के साथ ऐसे चिपक गये कि उखड़े ही नहीं! बहुत प्रयत्न करने पर भी बेचारे चिपके ही रहे! अब वे घबराये।
ज्ञानी पुरुषों ने कहा है : 'धर्मो रक्षति रक्षितः' आप अपने हृदय में धर्म को सुरक्षित रखो, धर्म आपकी सुरक्षा करेगा ही। जीवराग और जड़वैराग्य जैसा महान धर्म था सुव्रत के हृदय में! शुद्ध हृदय ही श्रेष्ठ धर्म था उसके पास! उसकी संपत्ति चोर कैसे ले जा सकते थे? दैवी तत्त्व जाग्रत हो गए...। चोरों को चिपका दिए जमीन से! ___ हाँ, एक बात बता दूँ यहाँ । सुव्रत ने कोई देव-देवी से प्रार्थना नहीं की थी कि 'हे क्षेत्र देवता, मेरी संपत्ति बचा लेना!' अथवा परमात्मा से भी प्रार्थना नहीं की थी कि 'हे भगवान, मेरी धनदौलत बचा लेना।' गृहस्थजीवन में भी अनासक्त योगी था सुव्रत श्रेष्ठि । उसके हृदय में धनसंपत्ति का राग ही नहीं था, फिर धनसंपत्ति को बचाने की प्रार्थना क्यों करे? अनासक्त हृदय ही महान धर्म है। अनासक्ति ही परमानन्द है और परम सुख है। जीवमात्र के प्रति मैत्री
और करुणा जिस हृदय में भरी हो, वह हृदय कितना विशुद्ध, कितना निर्मल, कितना पवित्र और प्रशान्त होगा!
प्रातःकाल श्रेष्ठि ने अपना 'पौषधव्रत' पूर्ण किया और अपने कमरे से बाहर आये, उन्होंने चोरों को बुरे हाल में देखा! चोर बहुत घबराये हुए थे। श्रेष्ठि ने पूछा चोरों से : 'तुम यहाँ क्यों खड़े हो? चले क्यों नहीं गए अभी तक? कोतवाल आएगा तो पकड़ लेगा। तुम चले जाओ...जल्दी...।'
चोरों ने कहा : 'सेठ साब, हम कैसे चले जायं? हम तो जमीन से चिपक गये हैं। आपने कुछ किया है। कृपा करके 'हमको मुक्त करो। हम आपका सारा माल यहाँ छोड़कर जायेंगे। कभी चोरी नहीं करेंगे। हमको जाने दो।' सुव्रत ने चोरों को स्पर्श किया कि चोर चलने लग गये! परन्तु जायें कहाँ? उधर कोतवाल हाजर ही था! कोतवाल चारों चोरों को पकड़कर ले गया...राजा के सामने!
सुव्रत का सारा का सारा धनमाल बच गया न? फिर भी सुव्रत बेचैन था! माल बच जाय तो राजी होने का या नाराज? धनमाल बचने का आनन्द नहीं
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