Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 285
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-२१ २७७ संतोष रखना चाहिए। दूसरों का पुण्योदय आपसे बढ़ कर है तो आपको असंतोष नहीं करना चाहिए। देव भी प्रमोद-भावना के पात्र : __ स्वर्ग में भी जो सम्यक्दृष्टि देव हैं, दैवी सुख-वैभवों में भी जो विरक्त रहते हैं यानी आत्मभान खोकर जो भोगसुखों में लीन नहीं बनते हैं, उनके प्रति भी अपने हृदय में प्रमोद-भावना रखने की है। वैषयिक सुख भोगने पर भी जो महानुभाव वैषयिक सुखों को उपादेय नहीं मानते, भोगने योग्य नहीं मानते, वे सचमुच प्रमोद के पात्र हैं। संसार में ज्यादातर लोग वैषयिक सुखों को उपादेय मानकर भोगते हैं और उसमें तल्लीन बनते हैं। इन जीवों की अपेक्षा जो जीव वैषयिक-सुखों को हेय मानते हैं, वे अनुमोदना के पात्र हैं। त्याज्य और मारक मानकर विषय-सुखभोगनेवाले आसक्ति में डूब नहीं जाते। डूबना नहीं है, जाग्रत रहो। ईर्ष्या से बचकर रहना : किसी की भी ईर्ष्या मत करो। साधु की ईर्ष्या मत करो, साध्वी की भी ईर्ष्या मत करो | श्रावक-श्राविका की भी ईर्ष्या मत करो । अन्य दर्शनों में यानी दूसरे धर्मों में रहे हुए मार्गानुसारी जीवों की भी ईर्ष्या-निन्दा मत करो। सर्वत्र गुणदृष्टि से देखो | गुणदृष्टि से देखने में आपका कुछ भी बिगड़नेवाला नहीं है। आपको कोई पाप लगनेवाला नहीं है। ___ जो साध्वी, जो श्राविका सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान और सम्यकचारित्र का संपूर्ण अथवा आंशिक पालन भी करती है, अपने शीलव्रत का पालन करती है, वह प्रमोद के पात्र है। ऐसी साध्वियों के गुण गाते रहो, ऐसी श्राविकाओं के गुण गाते रहो। उनके दोषों के सामने देखो ही नहीं। कभी देख लिए दोष, तो उन दोषों पर विचार मत करो। याद रखना, दोष-दर्शन बड़ी क्रूरता है। क्रूर हृदय धर्म-आराधना के लिए अयोग्य माना गया है। समझते हो न मेरी बात? क्रूर हृदय को धर्म स्पर्श नहीं कर सकता। क्रूर हृदय में धर्म रह नहीं सकता। दोषदर्शन के बड़े पाप को छोड़ दो। दूसरों के सुख एवं दूसरों के गुण देखकर प्रसन्नता का अनुभव करना शुरू करो। जहाँ छोटा-सा भी गुण दिखाई दें, आनन्दित बनो । जहाँ किसी का छोटा-सा भी सुख दिखाई दे, आनन्दित बनो। यानी ईर्ष्या मत करो, तिरस्कार मत करो। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339