Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 286
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-२१ २७८ गुणदर्शन के बिना प्रमोद-भावना आएगी कैसे ? आजकल गुणवानों का अनादर करना और सुखी मनुष्यों के प्रति तिरस्कार करना सामान्य हो गया है। फैशन हो गया है। किसी सुखी मनुष्य की आलोचना-प्रत्यालोचना करना, कटु शब्दों का प्रयोग करना साधारण बात बन गई है। गुणवानों का तो मूल्यांकन ही समाप्त हो गया है! आज मूल्यांकन है धनवानों का और रूपवालों का! रूप और रूपयों के पीछे दुनिया पागल बनी है। पागलों को गुणदर्शन होगा भी कैसे? गुणदर्शन के बिना प्रमोद-भावना आए कैसे? प्रमोद के बिना धर्म का स्पर्श हृदय को मिले कैसे? प्रेमभरा व्यवहार जरूरी है : - हरिभद्र पुरोहित के पास गुणदृष्टि थी। आचार्यदेव की बातें उनके अन्तःकरण को छू जाती है। आचार्यदेव ने उनकी पात्रता को परख लिया है। पुरोहित की प्रतिज्ञा से भी वे परिचित थे। आज प्रत्यक्ष उनकी विशेषताओं का परिचय मिला। आचार्यदेव की भी कैसी ज्ञानदृष्टि होगी? उन्होंने पुरोहित की पुरानी गलती याद नहीं की। 'यह वह पुरोहित है कि जिसने मेरे परमात्मा का क्रूर उपहास किया था, आज आया है मेरे पास, सुना दूँ उसको...क्या समझता है वह अपने आपको?' ऐसी गलती आचार्यदेव ने नहीं की। किसी के भूतकाल की बुरी बात याद कराने से उसको सुधारा नहीं जा सकता। किसी की क्षतियों के प्रति कटाक्ष या प्रहार करने से उनकी क्षतियाँ दूर नहीं होती हैं। यदि आचार्यदेव हरिभद्र पुरोहित को सुना देते कि : 'तुम ही हो न वह पुरोहित...जिन्होंने इसी मन्दिर में वीतराग परमात्मा का क्रूर उपहास किया था? जानते हो उसका परिणाम? आप राजपुरोहित हैं, इसका आपको घमंड होगा, परन्तु ध्यान रखना, परमात्मा के उपहास का कटुफल आपको भी भोगना पड़ेगा।' इत्यादि बातें सुनाते तो क्या हमको महान श्रुतधर हरिभद्रसूरिजी मिलते? हरिभद्र पुरोहित का मन आचार्य के प्रति खट्टा बन जाता। वे वहाँ से चले जाते और श्लोक का अर्थ कहीं से भी ढूँढ लेते। जिनशासन के आचार्य कैसे होते हैं ? जिनशासन के आचार्य समयज्ञ होते हैं, कालज्ञ होते हैं। वे व्यक्ति को अच्छी तरह पहचान लेते हैं। कुछ विशिष्ट ज्ञानी आचार्य तो सामने आनेवाले मनुष्य के भविष्य को भी जान लेते हैं। कहाँ पर क्या बोलना, कैसा बोलना, पूरा खयाल For Private And Personal Use Only

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