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प्रवचन- १३
१७९
निर्दय होता है तो माता के मन में बुरी भावनाएँ पैदा होती हैं। गर्भवती नारी यदि अपने संतानी का भविष्य समझना चाहें तो समझ सकती हैं। 'उत्पन्न होनेवाली मेरी संतान अच्छी होगी या बुरी होगी । '
रावण की माता कैकसी, जब रावण पेट में था तब कभी हाथ में तलवार लेकर घूमती थी! कभी सिंहासन पर बैठकर नौकरों को धमकाती थी! कभी हाथी पर बैठकर घूमा करती थी! कभी राजपरिवार पर तीव्र गुस्सा करती थी । हमेशा अभिमान से उद्धत बनकर घूमती थी ।
गर्भवती स्त्री यदि अपने विचारों के प्रति जाग्रत हो, तो वह अपनी भाविसन्तान के विषय में बहुत कुछ जान सकती है। मगधसम्राट श्रेणिक की पट्टराणी चेलणा के पेट में जब कूणिक था, चेलणा को ख्याल आ गया था कि 'यह सन्तान उसके पिता की शत्रु होगी ।' क्योंकि चेलणा को ऐसी इच्छा हुई थी कि 'मैं श्रेणिक की आँतें खा जाऊँ!' अपने पति की ही आँतें खाने की खराब इच्छा पैदा हुई... जो कि चेलणा जैसी पतिव्रता स्त्री के मन में कभी भी पैदा हो नहीं सकती थी, इससे चेलणा ने निष्कर्ष निकाला कि 'यह जीव, जो मेरे पेट में आया है, उसके पिता का शत्रु होगा।' इसलिए तो उसने, पुत्र का जन्म होते ही उस नगर के बाहर कूड़े के ढेर में डलवा दिया था । 'मुझे ऐसा पुत्र नहीं चाहिए कि जो अपने पिता का शत्रु बने ।' क्योंकि चेलणा के हृदय में श्रेणिक के प्रति अपार स्नेह था। अपने स्नेही के शत्रु को कौन पसन्द करे?
मदनरेखा को परमात्मपूजन करने की इच्छा होती है । साधुपुरुषों को दान देने की इच्छा पैदा होती है। गरीबों को दान देने की भावना होती है। जो-जो इच्छा होती है मदनरेखा को, युगबाहु पूर्ण करता है । मदनरेखा का रूप-लावण्य बढ़ता जाता है। उसकी मनःप्रसन्नता भी बढ़ती जाती है। कुछ महीनों से मणिरथ की तरफ से कोई हरकत नहीं होने से मदनरेखा आश्वस्त हो गई है कि 'मेरे सन्देश से मणिरथ ने मेरी इच्छा छोड़ दी है।' सरल और भद्रपरिणामी महासती को क्या मालूम कि कभी खामोशी में भयानक आग छुपी हुई होती है ? मणिरथ युगबाहु की हत्या कर देता है :
एक दिन युगबाहु मदनरेखा को लेकर नगर के बाहर उद्यान में गया। उस समय उद्यान में कोई भी स्त्री - पुरुष नहीं थे । उद्यान में प्रवेश कर, युगबाहु और मदनरेखा ने कदलीगृह में निवास किया । मदनरेखा की मनःप्रसन्नता के लिए रात्रि कदलीगृह में व्यतीत करने का निर्णय किया । उद्यान के चारों तरफ शस्त्रसज्ज सैनिक सुरक्षा हेतु खड़े थे। जिस समय उद्यान में राजा-रानी
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