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प्रवचन- १३
१७८
बिना रावण की जैसी मनोविह्वलता थी, मदनरेखा के बिना मणिरथ की वैसी ही मनोव्यथा थी । वासनापरवश जीवों के मन में शान्ति कहाँ से! स्वस्थता कहाँ से! मदनरेखा का प्रत्युत्तर सुनने से उसके मन में चंचलता बढ़ गई । 'मुझे मदनरेखा चाहिए ही, किसी भी प्रकार मदनरेखा को मैं अपनी प्रिया बनाऊँगा ।' सोचते-सोचते उसके मन में एक अति दुष्ट विचार उभर आया । 'जब तक युगबाहु जिन्दा है, मदनरेखा मेरी प्रिया नहीं बन सकती। मैं युगबाहु को इस दुनिया से बिदा कर दूँगा... फिर तो मदनरेखा मेरी प्रिया बनेगी ही । '
इतना अधम, इतना घोर शत्रुतापूर्ण विचार क्यों आया? बात समझ रहे हो न? मणिरथ अपने सगे भाई की हत्या करने की क्यों सोच रहा है? जड़ पौद्गलिक देहरूप का राग उसको भान भुला रहा है । स्वजनमैत्री का घात करवा रहा है। निर्दोष और गुणवान भ्राता की हत्या करवा रहा है। जड़ पौद्गलिक पदार्थों का राग, पाँच इन्द्रियों के प्रिय विषयों का अनुराग कितना अनर्थकारी है, यह समझ लो । चारों प्रकार की मैत्री का घातक है यह विषयराग। इसलिए कहता हूँ कि विषयान्ध मत बनो । विषयान्ध जीवों में धर्म हो ही नहीं सकता। विषयान्ध मनुष्य का चित्त मलिन ही होता है। राग-द्वेष और मोह से मलिन चित्त में धर्म नहीं हो सकता । शुद्ध चित्त में ही मैत्री, प्रमोद, करुणा और माध्यस्थ्य-भाव के धर्मपुष्प खिलते हैं । मदनरेखा के पवित्र मन में पुष्प खिले हु हैं। मैत्री आदि भावनाओं से मदनरेखा का चित्त सुवासित है । मणिरथ का चित्त राग, द्वेष और मोह से दुर्गंधग्रस्त है। उसके चित्त में 'युगबाहु को कैसे मारा जाय... मेरी बेइज्जती न हो और वह मारा जाय...' ऐसे विचार चल रहे हैं ।
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मदनरेखा गर्भवती बनती है :
एक दिन मदनरेखा ने युगबाहु से कहा : 'मेरे नाथ, आज स्वप्न में मैंने चन्द्र को देखा !' युगबाहु ने कहा : 'देवी, तू चन्द्र के समान सौम्य, प्रसन्नवदन और सर्वजनवल्लभ वैसे पुत्र को जन्म देगी।' मदनरेखा पति की बात सुनकर बड़ी प्रसन्न हो उठी। वह गर्भवती बनी थी। जब तीन महीने व्यतीत हुए, मदनरेखा के चित्त में अच्छे-अच्छे मनोरथ पैदा होने लगे। उत्तम जीव जब माता के उदर में आता है, माता के हृदय में पवित्र और धार्मिक भावनाएँ जाग्रत होती हैं। गर्भस्थ जीव का प्रभाव माता के मन पर पड़ता है। गर्भस्थ जीव यदि पुण्यशाली होता है, पवित्र और धार्मिक होता है तो माता के मन में अच्छी भावनाएँ उत्पन्न होती हैं और यदि गर्भस्थ जीव पापी होता है, क्रूर और
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