________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१९१
प्रवचन-१४ गौतमस्वामी मनःपर्यवज्ञानी थे, हजारों साधुओं के गुरु थे, फिर भी, जब भगवान महावीर का वियोग हुआ तब फूट-फूटकर रो पड़े थे। क्योंकि भगवान के संयोग में गौतम ने परम सुख माना था। महावीर के चरणों में गौतम ने मुक्ति का सुख पाया था! जब वियोग हुआ, भयंकर मनोव्यथा अनुभव की। मदनरेखा ज्ञानी थी, सती सन्नारी थी, परन्तु थी तो संसारी स्त्री! हृदय में राग तो बैठा ही था! विलाप करती है। ____ 'मैं अभागिन हूँ। मेरा सर्वस्व चला गया। ओह, मेरे रूप को धिक्कार हो...मेरे रूप ने ही मेरे पूज्यस्थानीय पुरुष को विकारी बनाया । मेरे ही निमित्त इन की हत्या हो गई। कैसा घोर अनर्थ हो गया।' मदनरेखा की ज्ञानदृष्टि :
ऐसे घोर दुःख में भी मदनरेखा की ज्ञानदृष्टि खुली रहती है। पति की निर्मम हत्या में वह अपना ही दोष देखती है। अपने रूप का दोष देखती है। घोर पाप करनेवाले मणिरथ के प्रति उसके हृदय में घृणा या तिरस्कार पैदा नहीं होता है। युगबाहु के प्रति वफादार सैनिक भी थे। यदि वह चाहती तो उन सैनिकों के द्वारा मणिरथ को सजा करवा सकती थी। मणिरथ की दुष्ट वासना को दुनिया के सामने खुली कर सकती थी..'इस दुष्ट को मुझे अपनी पत्नी बनाना है, इसलिए इसने अपने भाई की हत्या कर दी है। मुझे ललचाने के अनेक प्रयत्न करने पर भी जब मैंने उसकी बात नहीं मानी, तब उसने यह कुकर्म किया है। इस नालायक को कड़ी शिक्षा होनी चाहिए।' ___ परन्तु नहीं, मदनरेखा ने ऐसे अज्ञानमूलक विचार नहीं किए | उसने तो यह सोचा कि : 'मणिरथ मेरे प्रति आकर्षित हुआ मेरा रूप देखकर | संसार में स्त्री का सुन्दर रूप ही तो पुरुषों के पतन का निमित्त बनता है। संसारी जीव अपने मन को वश नहीं रख सकता है और वह अकार्य कर बैठता है।' ___ जीवद्वेष से ऐसा मनुष्य ही बच सकता है, जिसके पास ज्ञानदृष्टि होती है। जिनकी विचारधारा सम्यगज्ञान के रंगों से रंगी हुई होती है। अच्छे विचार होना अलग बात है, सम्यगज्ञान से रंगे हुए विचार अलग होते हैं। अच्छे विचार तो प्रबल आघात में नष्ट हो जाते हैं, जबकि ज्ञानरंग से रंगे हुए विचार, ज्ञानरसायण से रसे हुए विचार प्रबल आघात में भी नष्ट नहीं होते।
आज अच्छे-अच्छे विद्वान भी ऐसा बोलते हैं : 'क्या करें? बहुत धैर्य रखा, परन्तु वह समझता ही नहीं, खराब काम छोड़ता ही नहीं। अपन को तो उसके
For Private And Personal Use Only