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प्रवचन १०
१३७
बातों का सख्त विरोध करना चाहिए । सदाचार के सुदृढ़ पक्षपाती जो होंगे वे ही विरोध करेंगे। जिनको दुःख का भय नहीं होगा और सुखों का प्रलोभन नहीं होगा वे विरोध करेंगे। कैसे राष्ट्र में जीवन जीने का है ? कहते हैं कि काँग्रेस गाँधीजी के सिद्धान्तों के अनुसार राज्य करती है, लेकिन मेरी दृष्टि में गाँधीजी के सिद्धान्तों की खुले आम हत्या हो रही है। यह देश महावीर, बुद्ध, राम और कृष्ण का है। इस देश में शील और सदाचार की विडंबना ? प्रजा को दुराचारी - व्यभिचारी बनाने की योजनाएँ ?
हाँ, इस समाज के बीच, इस देश में रहते हुए हमको शील और सदाचार का पालन करना है! पति-पत्नी के संबंधों को पवित्र बनाए रखना है। पेथड़शाह और पथमिणी के संबंध कैसे पवित्र होंगे! एक-दूसरे के प्रति कितना विश्वास होगा? रानी लीलावती को महामंत्री गुप्त मार्ग से अपनी हवेली में ले आते हैं और पथमिणी को उसकी देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंप देते हैं । अभय, अद्वेष और अखेद की मूर्ति पेथड़शाह वास्तव में धर्मात्मा थे, धर्म का जैसा स्वरूप बताया गया है, उसी स्वरूप का धर्म उस महापुरुष में था । आज, बस इतना ही ।
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