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प्रवचन-१० सुख हैं। वे भी आप सदैव भोग सकते हैं? शरीर में टी.बी. अथवा केन्सर जैसा रोग पैदा हो गया? भले ही जवानी हो, पत्नी भी खूबसूरत हो, तो भी आपको आँखों से आँसू बहाते हुए बैठे रहना पड़ता है। और, जब मौत आ जाती है तब? पत्नी खड़ी-खड़ी आँसू बहाती है। लोग आपके मृतदेह को उठाकर स्मशान में ले चलते हैं | जरा आँखें मूंदकर उस दृश्य को कल्पना से देखो। विषयांध आदमी का गणित :
कदंबा रानी लीलावती में राजा को दोष-दर्शन कराना चाहती है, ताकि राजा का राग उतर जाए। विषयांध मनुष्य का गणित कितना गलत होता है? राजा का प्रेम पाने के लिए वह दूसरे के जीवन में आग लगाने का सोचती है! इसलिए लीलावती के जीवन में वह दोष खोजती है। ऐसा दोष खोजती है कि राजा को लीलावती के प्रति नफरत हो जाए, उसके सामने भी न देखे राजा। तभी कदंबा राजा का पूरा-पूरा प्रेम पा सकती है? ___ एक दिन रानी लीलावती बीमार हो गई। रानी को बुखार आने लगा। एक दिन बुखार आता है, दूसरे दिन नहीं आता...इस प्रकार एकान्तर बुखार आने लगा। राजा ने बहुत औषधोपचार करवाये, परन्तु बुखार उतरा नहीं। राजा को और समग्र राजपरिवार को चिन्ता होने लगी। रानी का शरीर दुर्बल होता गया है। वैद्य भी निराश होने लगे।
लीलावती की दासी महामंत्री के घर पर, पथमिणि को मिलने और लीलावती का समाचार देने गई थी। दासी के मुख पर उदासी छाई हुई थी। पथमिणि ने उदासी का कारण पूछा, तो दासी रो पड़ी। 'मेरी रानी जी को कितने दिनों से बुखार आता है, कोई दवाई काम नहीं करती, महारानी का शरीर सूखता जाता है। महाराजा दिन-रात चिन्ता करते हैं। सारा महल गहरे शोक में डूब गया है।' पथमिणी ने दासी की बात सुनी, कुछ समय विचार किया और दासी को कहा : 'मेरे पास उस बुखार को उतारने का एक उपाय है।' दासी की आँखों में चमक आ गई, वह बोली : 'है उपाय आपके पास? तो दे दो, बड़ी कृपा होगी मेरी बहन ।' वह तो पथमिणी से लिपट गई मानो। पथमिणी ने कहा : 'सुन, महामंत्री प्रतिदिन परमात्मा के पूजन में जो वस्त्र पहनते हैं, वह वस्त्र यदि रानी ओढ़कर सो जाए तो बुखार नहीं आएगा। हाँ बुखार आने से पूर्व वस्त्र ओढ़ लेना चाहिए।'
'देवी, एक क्षण का भी विलंब किए बिना आप वह वस्त्र मुझे देने की कृपा
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