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प्रवचन-५
६३ कोई मतलब नहीं! 'दूध कहाँ से आता है, गाय-भैंस वगैरह दूध कैसे देते हैं? वे खाते हैं घास देते हैं दूध, यह कैसे? दूध में कौन-कौन से-तत्त्व होते हैं? यह दूध का स्वरूपज्ञान सबको नहीं होता। दूध पीनेवाले सबको यह ज्ञान नहीं होता। उनका मतलब होता है शरीर के स्वास्थ्य से!' 'दूध से शरीर अच्छा बनता है।' इतना ज्ञान इनके लिए पर्याप्त बन जाता है। ___ हमारे जीवन में प्रतिदिन उपयोग में आनेवाली ऐसी कई वस्तुएँ हैं, जिनका अपने कई बार उपयोग करते हैं; परन्तु उन वस्तुओं का स्वरूपज्ञान अपने को नहीं है। अपने नित्य प्रति उपयोग में आनेवाली वस्तुओं पर सोचें : जैसे साबुन है। कौन-सा साबुन वस्त्रों को ज्यादा स्वच्छ करता है, कौन-सा साबुन शरीर की चमड़ी को नुकसान नहीं करता है और शरीर का मैल साफ करता हैइतना ही सोचते हैं यानी साबुन का प्रभाव ही जानते हैं। परन्तु क्या यह सब लोग जानते हैं कि साबुन बनता कैसे है? किन-किन वस्तुओं को मिलाने पर साबुन बनता है? कितनी मात्रा में वस्तुएँ मिलाई जाती हैं...इत्यादि बातों का विचार सब लोग करते हैं क्या? हम केवल उसके उपयोग से, उसके प्रभाव से ही सरोकार रखते हैं। दूसरी बात : आपके घर में 'लाईट' है न? 'स्विच' दबाते हो और प्रकाश होता है। आपको प्रकाश चाहिए, 'स्विच' दबाने से प्रकाश मिलता है-इतना आपको ज्ञान है, बस! 'इलेक्ट्रिसिटी' का ज्ञान हो या नहीं हो! विद्युत कैसे पैदा होती है, कैसे आपके घर में आती है और प्रकाश करती है-ये सारी बातें सब लोग नहीं जानते हैं और जानने की तत्परता भी नहीं होती है! बहुत थोड़े लोग ऐसे बुद्धिमान और जिज्ञासावाले होते हैं, जो वस्तु का स्वरूप जानते हैं और जानने को आतुर होते हैं। ___ एक लड़की थी। प्रतिदिन प्रातः वह दूध पीती थी। एक दिन प्रातः जब समय पर दूध नहीं मिला, तो उसने रोना शुरू किया। उसकी माँ ने पूछा : क्यों रोती है? लड़की ने कहा : 'मुझे भूख लगी है, दूध दो।' माँ ने कहा : 'अभी गाय का दूध नहीं आया है, आते ही दे दूँगी।' माँ बच्चों को हमेशा गाय का दूध पिलाती थी। लड़की को तो दूध से मतलब था-गाय का हो या भैंस का। उसने कहा : 'जो भी दूध हो भैंस का, बकरी का, गाय का, अभी दे दे, मुझे भूख जोरों की लगी है!' लड़की को भूख लगी थी, भूख मिटाने के लिए वह दूध माँगती थी। क्योंकि उसे दूध के प्रभाव का ज्ञान था। 'दूध से भूख मिटती है।' गाय-भैंस के दूध के गुण-दोष वह नहीं जानती थी, न जानने की तत्परता थी।
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