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प्रवचन-४
__ महाराजश्री : तब तो मजा आ जाएगा! यहाँ वे तरकीबें नहीं चलेंगी तो मुक्ति की तरकीब मिल जाएगी! आत्मा की मुक्तावस्था प्राप्त होने में देर नहीं लगेगी। परन्तु 'उपाश्रय में, प्रवचन में जायेंगे, तो फँस जायेंगे; इसलिए प्रवचन सुनने जाना ही नहीं...' ऐसा तो नहीं करोगे न? परन्तु अभी तो आना ही पड़ेगा, उस जीवराज सेठ की तरकीबें जानने के लिए! बताऊँगा आगे सेठ की चालबाजी! नारदजी तो चले गये पंद्रह दिन की विदेशयात्रा पर | उनको लौट कर आने दो वापस।
धर्म मोक्ष देता है, परन्तु उस मनुष्य को देता है कि जिसको मोक्ष के बिना चैन नहीं हो। मोक्ष पाने को जो आतुर हो, लालायित हो! धर्म के अचिन्त्य प्रभाव के विषय में आगे सोचेंगे।
आज, बस इतना ही।
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