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कमठान : भूमिगत पार्श्वनाथ | 5 इस मन्दिर की दीवालों पर चित्रकारी भी है जो अब अस्पष्ट-सी हो गई है। इसके चित्र भगवान नेमिनाथ के जीवन से सम्बन्धित हैं। रथ, सूर्य, चन्द्र तथा समवसरण के कुछ चित्र अब भी अपने धुंधले रूप में देखे जा सकते हैं।
मन्दिर में प्रदक्षिणा-पथ भी है और उसके बाहर खुला आँगन है जिसके तीनों ओर खुले बरामदों के रूप में यात्रियों के ठहरने का स्थान है। पास ही में रसोई बनाने की भी जगह है।
मन्दिर का शिखर पाण्डुक-शिला जैसा है जिसमें पाँच स्तर हैं। चौथे स्तर पर तीर्थंकरों की पद्मासन या कायोत्सर्ग मुद्रा में मूर्तियाँ बनी हैं। इनमें एक मूर्ति पार्श्वनाथ की भी है (देखें चित्र क्र. 2)। शिखर के ऊपर (गोल) आमलक है और सबसे ऊपर कलश।
यहाँ मन्दिर को 'देवल' कहते हैं। मन्दिर अच्छी हालत में है, उसमें दैनिक पूजन भी होती है किन्तु उसकी व्यवस्था यहाँ केवल शेष बचा एक कम आयवाला जैन परिवार ही करता है। फिर भी, माघ सुदी पंचमी को यहाँ मेला लगता है जिसमें बीदर आदि स्थानों के जैन परिवार सम्मिलित होते हैं।
मन्दिर का अहाता काफी बड़ा है । उसमें एक चबूतरे पर मुनिराज गुणकोति के चरण हैं जो कि लगभग चार सौ वर्ष प्राचोन बताये जाते हैं। डॉ. होरालाल जैन द्वारा सम्पादित 'शिलालेख संग्रह' भाग-1 के शिलालेख क्रमांक 30 पर लेख में यह उल्लेख है कि श्रवणबेलगोल में आचार्य गुण कोति ने देहोत्सर्ग किया। सम्भवत. ये वही आचार्य हैं। .
___ मन्दिर की इस भूमि की रक्षा के लिए अब चारदीवारी बनाई जा रही है जिसके लिए भारतवर्षीय दिगम्बर जैनतीर्थ क्षेत्र कमेटी ने अनुदान दिया है । मन्दिर की आय का साधन आम के एक पेड़ के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
यहाँ के एक मात्र श्रावक श्री आदिनाथ पदमन्ना बेलकेरे (पो० कमठान) हैं। वर्तमान में मन्दिर का प्रबन्ध एक समिति करती है जिसके अध्यक्ष श्री जिनेन्द्रप्पा टिक्के हैं। पता इस प्रकार है-श्री जिनेन्द्रप्पा टिक्के, शाहगंज जैन मन्दिर, पो० बीदर-585 226 (कर्नाटक)।
कर्नाटक सरकार द्वारा प्रकाशित बीदर जिले के गजेटियर में इस जिले के दर्शनीय स्थानों के विवरण में कमठान के पार्श्वनाथ मन्दिर को भी सम्मिलित किया गया है।
यहाँ भी हिन्दी बोली एवं समझी जाती है।
जैन पर्यटकों के लिए बीदर-कमठान के बाद दूसरा प्रमुख केन्द्र है बीजापुर । किन्तु यदि पर्यटक किसी बस या निजी वाहन से यात्रा कर रहे हों तो उन्हें बीजापुर के मार्ग में या उसके थोड़े आस-पास पड़ने वाले कुछ प्रमुख जैन केन्द्रों को भी देखते जाना चाहिए।
हुम्नाबाद
बीजापुर जाने के लिए सड़क-मार्ग गुलबर्गा होकर है किन्तु बीच में बीदर से 50 कि. मी. की दूरी पर हुम्नाबाद स्थान पड़ता है। किसी समय यह भी एक प्रमुख जैन नगर था। यहाँ दो मन्दिर थे। वर्तमान में एक तो ध्वस्त अवस्था में है और दूसरा श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर