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अनुयोगहारसूत्र सप्तविधनाममध्ये नक्षत्राण्याश्रित्य यन्नाम स्थाप्यते तद्दर्शयति-कृत्तिकामु जात:कात्तिकः कृत्तिकाभिर्दत्त:-कृसिकादत्त इत्यादि । एवं रोहिण्याधवशिष्टनक्षत्रेष्वपि समूह्यानि । सकलनक्षत्राणि संग्रहीतुं तिस्त्र संग्रहणी गाथाः प्राह-'कित्तियरोहिणी'
प्रश्न-(से कि तं णक्खत्त णामे १) हे भदन्त ! वह नक्षत्र नाम क्या है अर्थात् नक्षत्रों को आश्रित करके जो किसी का नाम स्थापित किया जाता है' वह कैसा होता है ?
उत्तर-(णखसणामे ) वह नक्षत्र नाम इस प्रकार से स्थापित होता है-(कित्तिमाहिं जाए, किंत्तिए; कित्तिमादिण्णे, कित्तियाधम्में, कित्तियासम्मे, कित्तियादेवे, कित्तिआदासे, किसिआसेणे, कित्ति रक्खिए) कार्तिक, कृत्तिकादत्त, कृत्तिकाधर्म; कृत्तिकाशर्मा, कृत्तिका देव, कृत्तिकादास, कृत्तिकासेन; कृत्तिकारक्षित इस प्रकार ये नाम कत्तिका नक्षत्र में जन्म होने के कारण होते हैं। (रोहिणीहि जाएरोहिणिए रोहिणीदिन्ने रोहिणिधम्मे, रोहिणिसम्मे, रोहिणिदेवे, रोहि जिदासे, रोहिणिसेणे, रोहिणिरक्विए) रोहिणेय, रोहिणीदत्त, रोहिणी धर्म, रोहिणीशर्मा, रोहिणीदेवे, रोहिणीदास, रोहिणिसेन, रोहिणी रक्षित । इस प्रकार ये नाम रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने के कारण होते है। (एवं सधनक्खत्तेतु नामा भाणियन्वा) इसी प्रकार से और भी अवशिष्ट नक्षत्रों को आश्रित करके नाम उनमें जन्म होने के कारण
प्रश-से कि त खत्तणामे ) त ! नक्षत्र नाम छ? એટલે કે નક્ષત્રના આધારે જે નામ રાખવામાં આવે છે, તે કેવું હોય છે?
उत्तर-(णक्खसणामे) नक्षता में प्रभाव स्थापित ४२वामा भाव . (कित्ति माहि जाए, कित्तिए, कितिआदिणे किंत्तियाधम्मे कित्तिआसम्में,
देवे, किति आदासे, कित्तिासेणे कितिऔरक्खिए) ति, त.
त्तिय, कृति , इतिव, इतिहास इत्तिासेन, glastશ્ચિત આ જાતનાં નામ કૃતિકા ને જન્મેલાઓના રાખવામાં આવે છે. रोहिणोहिं जाए-रोहिणीए, रोहिणीदिन्ने, रोहिणीधम्मै, रोहिणीसम्मे, रोहिणिदेवें,
रणीशसे, रोहिणीसेणे, रोहिणी रखिई) शैडिय. हित, शलिया' કવિહીશર્મા, રોહિણીદેવ, રહિણીદાસ, રોહિણને, રાહિરિક્ષિત, આટલા
भी मानक्षत्रमा सामाना रामपाभी भा . (एवं सम्वनक्खत्तेसु या माणियव्वा) प्रमi allon or dil नक्षत्र ५२थी २२ વસ પાડવામાં આવે છે તે વિષે જાણી લેવું જોઈએ. બધા નક્ષત્રોના નામ