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因%% % % %% %%%%% %%% %% %%% %%%%%%%%% %%% 3 ५८३. काम-भोग चार प्रकार का होता है-(१) शृंगार काम, (२) करुण काम, (३) बीभत्स ॥ 5 काम, (४) रौद्र काम। 9 (१) देवों का काम शृंगार रस-प्रधान। (२) मनुष्यों का काम करुण-रस-प्रधान। फ़ + (३) तिर्यग्योनिक जीवों का काम बीभत्स-रस-प्रधान। (४) नारक जीवों का काम रौद्र-रस-प्रधान।।
583. Kaam (gratification of carnal desires) is of four kinds(1) shringar kaam (carnal indulgence resulting in amatory
sentiment), (2) karun kaam (carnal indulgence resulting in sentiment of + pathos), (3) bibhatsa kaam (carnal indulgence resulting in sentiment
of disgust) and (4) raudra kaam (carnal indulgence resulting in sentiment of rage).
(1) Kaam of gods is shringar kaam (carnal indulgence resulting in amatory sentiment), (2) Kaam of humans is karun kaam (carnal indulgence resulting in sentiment of pathos), (3) Kaam of animals is bibhatsa kaam (carnal indulgence resulting in sentiment of disgust) and (4) Kaam of infernal beings is raudra kaam (carnal indulgence resulting in sentiment of rage).
विवेचन-टीकाकार ने बताया है, देवताओं के काम चित्त में प्रसन्नता व रति उत्पन्न करने वाले हैं, 卐 रति रूपो हि श्रृंगारः। मनुष्यों के काम भोगने के पश्चात् मन में शोक व पश्चात्ताप उत्पन्न करते हैं करुणो के + हि रसः शोक स्वभावः। अधिक कामासक्ति रोग भी उत्पन्न कर देती है। तिर्यंचों के काम घृणास्पद होते हैं, ॐ अतः उन्हें बीभत्स कहा है। नारकियों में शारीरिक मैथुन (काम) नहीं होता। प्रश्न होता है वे मैथुन संज्ञा 卐 की पूर्ति कैसे करते हैं ? उत्तर में बताया है, उनमें आसेवनकाम तो नहीं होता, किन्तु इच्छाकाम होता है।
इच्छाकाम की पूर्ति में वे अत्यन्त रौद्र होकर परस्पर लड़ने लग जाते हैं। रोद्रः क्रोध प्रकृतिः, (हिन्दी टीका ऊ पृष्ठ ११०१)
Elaboration The commentator (Tika) informs that the sexual gratification of gods produces erotic sentiment and feeling of joy. The sexual gratification of human beings results in sentiment of pathos and pensive state of mind. Excessive lust also causes ailments. The sexual act of animals is repulsive therefore it is classified as source of sentiment of disgust. The infernal beings are deprived of the ability of physical sex. A question naturally rises-how do they satisfy their sexual desire ? The answer is that though they are deprived of physical sex still they have sexual desires. For gratification of this desire they indulge in fierce fight with each other, therefore it is classified as source of sentiment of rage. (Hindi Tika, p. 1101)
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स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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