Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 518
________________ 卐 ६२. ( झ ) आर्यों ! मेरे जैसे नौ गण और ग्यारह गणधर हैं, इसी प्रकार अर्हत् महपद्म के भी नौ ॐ गण और ग्यारह गणधर होंगे। 5 फ्र फफफफफफफफफफफफ आर्यों ! जैसे मैं तीस वर्ष तक अगारवास में रहकर मुण्डित हो अगार से अनगार अवस्था में 5 प्रव्रजित हुआ, बारह वर्ष और तेरह पक्ष तक छद्मस्थ-पर्याय का पालन कर, तेरह पक्षों से कम तीस ! वर्षों तक केवल-पर्याय धारणकर बयालीस वर्ष तक श्रामण्य पर्याय पालन कर सर्व आयु बहत्तर वर्ष 卐 5 पालन कर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त और परिनिर्वृत्त होकर सर्व दुःखों का अन्त करूँगा । इसी प्रकार अर्हत् । 5 महापद्म भी तीस वर्ष तक अगारवास में रहकर मुण्डित हो, अगार से अनगार अवस्था में प्रव्रजित होंगे, 卐 बारह वर्ष तेरह पक्ष तक छद्मस्थ-पर्याय का पालन कर, तेरह पक्षों से कम तीस वर्षों तक केवलिपर्याय ! 5 का पालन कर बयालीस वर्ष तक श्रामण्य पर्याय पालन कर, बहत्तर वर्ष की सम्पूर्ण आयु भोग कर 卐 5 सिद्ध, बुद्ध, मुक्त और परिनिर्वृत्त होकर सर्वदुःखों का अन्त करेंगे। 5 (गाथा) जिस प्रकार के शील- समाचार वाले अर्हत् तीर्थंकर महावीर हुए हैं, उसी प्रकार के फ्र शील- समाचार वाले अर्हत् महापद्म होंगे। 5 卐 卐 卐 4 卐 y a Y y 62. (f) O noble ones! As I have nine Ganas and nine Ganadhars; in the same way Arhat Mahapadma will have nine Ganas and nine Ganadhars. 卐 O noble ones! As I will become perfect (Siddha), enlightened 4 5 (buddha), liberated (mukta), free of cyclic rebirth (parinivrit), and end all miseries after spending thirty years as householder, getting initiated as a homeless ascetic after tonsuring my head, moving about as chhadmasth ascetic for twelve years and thirteen fortnights, and living as an omniscient for thirteen fortnights less thirty years completing a Y total ascetic-life of forty two years and total life span of seventy two y years; in the same way Arhat Mahapadma will become perfect (Siddha), y 5 enlightened (buddha), liberated (mukta), free of cyclic rebirth 4 (parinivrit), and end all miseries after spending thirty years as householder, getting initiated as a homeless ascetic after tonsuring his head, moving about as a chhadmasth ascetic for twelve years and thirteen fortnights, and living as an omniscient for thirteen fortnights y less thirty years completing a total ascetic-life of forty two years and total life span of seventy two years. y y y ५ 卐 卐 卐 फ्र फ्र 5 卐 फ्र विशेष शब्दों के अर्थ : फलक शय्या -पतले व लम्बे काष्ट की बनी शय्या । कान्तारभक्त-लम्बी अटवी आदि की यात्रा में सार्थवाह श्रमणों के लिए भोजन बनाकर दे देते थे, वह । दुर्भिक्ष भक्त - दुर्भिक्ष आदि में फ राजा व धनाढ्य व्यक्ति जो भक्त पान देते थे, वह । ग्लान भक्त- रोगी के लिए दिया जाने वाला भोजन । बर्दलिका भक्त - आकाश में बादल व घटाएँ छाई हों, ऐसे समय में श्रमण भिक्षा के लिए नहीं जा सकते, स्थानांगसूत्र (२) Sthaananga Sutra (2) Arhat Mahapadma will follow the same ascetic conduct and praxis 5 (shila-samachar) as Arhat Tirthankar Mahavir did. Jain Education International ( 456 ) For Private & Personal Use Only फफफफफफफ www.jainelibrary.org

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