Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 585
________________ )) ) )) ) ) 555595555555555555555555555555555555555555555555 अणागयमतिक्कंतं, कोडीसहियं णियंटितं चेव। सागारमणागारं परिमाणकडं णिरवसेसं॥ संकेयर्ग चेव अद्धाए, पच्चक्खाणं दसविहं तु॥१॥ १०१. प्रत्याख्यान के दस प्रकार है, जैसे-(१) अनागत-प्रत्याख्यान-आगे किये जाने वाले तप को 卐 किसी विशेष परिस्थिति में पहले ही कर लेना। (२) अतिक्रान्त-प्रत्याख्यान-जो तप कारणवश वर्तमान में न किया जा सका हो, उसे भविष्य में करना। (३) कोटिसहित-प्रत्याख्यान-जो एक प्रत्याख्यान का अन्तिम ॐ दिन और दूसरे प्रत्याख्यान का आदि दिन हो, वह कोटिसहित प्रत्याख्यान है। जैसे यवमध्य चन्द्र प्रतिमा आदि। (४) नियंत्रित-प्रत्याख्यान-नीरोग या सरोग अवस्था में नियंत्रण या नियमपूर्वक अवश्य ही किया जाने वाला तप। यह तप १४ पूर्वधर, जिनकल्पी आदि के लिए ही होता है। (५) सागारप्रत्याख्यान-आगार या अपवाद के साथ किया जाने वाला तप। जैसे नवकारसी पोरसी आदि। (६) अनागार-प्रत्याख्यान-अपवाद या छूट के बिना किया जाने वाला तप। (७) परिमाणकृत-प्रत्याख्यानदत्ति, कवल, गृह, द्रव्य, भिक्षा आदि के परिमाण वाला प्रत्याख्यान। (८) निरवशेष-प्रत्याख्यान-चारों प्रकार के आहार का सर्वथा परित्याग। (९) संकेत-प्रत्याख्यान-संकेत या चिह्न के साथ किया जाने वाला ऊ प्रत्याख्यान। विविध अभिग्रहों के साथ किया जाने वाला। (१०) अद्धा-प्रत्याख्यान-मुहूर्त, प्रहर आदि काल की मर्यादा के साथ किया जाने वाला प्रत्याख्यान। 卐 101. Pratyakhyan (abstainment) is of ten kinds—(1) Anagat pratyakhyan--to advance, under special circumstances, the obs of some austerity resolved to be observed in future. (2) Atikrantpratyakhyan--to postpone for future the observation of some austerity for some specific reason. (3) Kotisahit-pratyakhyan—the last day of one abstainment and the first day of the immediate next abstainment. (4) Niyantrit-pratyakhyan-a tap (austerity) done with complete control following prescribed rules irrespective of being normal or ailing. This is meant only for Fourteen Purvadhars, Jinakalpi and other such higher ascetics. (5) Sagaar-pratyakhyan-austerities done with some relaxations. (6) Anagaar-pratyakhyan-austerities done without any relaxations. (7) Parimanakrit-pratyakhyan-abstainment related to 4 specific quantity or number of things like servings, morsels, houses, things and alms. (8) Niravashesh-pratyakhyan-abstaining completely from all the four kinds of food. (9) Sanket-pratyakhyan--abstainment done with specific signs or indications or that done with special resolves. (10) Addha-pratyakhyan-abstainment done for specific duration such as Muhurt (48 minutes), Prahar (three hours), etc. 955555555555555555555;))))) दशम स्थान (521) Tenth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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