Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 630
________________ 2 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 55 2 卐 卐 卐 卐 **********************************மிதிE 161. The first section of this Ratnaprabha Prithvi, the Ratna-kaand is ten hundred Yojan thick. फ्र 162. The second section of this Ratnaprabha Prithvi, the Vajra-kaand is ten hundred Yojan thick. 163. In the same way the other sections, namely Vaidurya - kaand, 5 Lohitaksha-kaand, Masaragalla-kaand, Hamsagarbha-kaand, Pulakkaand, Saugandhik-kaand, Jyotirasa-kaand, Anjana-kaand, फ्र Anjanapulak-kaand, Rajat-kaand, Jaatarupa-kaand, Anka-kaand, Sphatik-kaand, and Rishta-kaand (all these are names of various gem stones) are also ten hundred Yojan thick. विवेचन - यह रत्नप्रभा पृथिवी एक राजु परिमाण लम्बी (ऊँची) चौड़ी (विस्तृत) है। इसकी मोटाई एक लाख अस्सी हजार योजन है। इसके तीन काण्ड (हिस्से) हैं। (१) खरकाण्ड, (२) पंक - बहुल काण्ड और (३) जल - बहुल काण्ड । इनमें से से खरकाण्ड सबसे ऊपर है, वह मोटाई में १६ हजार योजन प्रमाण है। उसके नीचे का दूसरा काण्ड पंकबहुल है, जोकि मोटाई में ८४ हजार योजन है। उसके नीचे 5 Elaboration This Ratnaprabha prithvi is one Rajju long and wide. Its thickness is one hundred eighty thousand Yojans. It has three sections (kaand) Khar-kaand, Pank-bahul kaand, and Jal-bahul kaand. Khar का तीसरा जलबहुल काण्ड है, जो मोटाई में ८० हजार योजन है। खरकाण्ड १६ भागों में विभाजित है। 卐 इनमें एक-एक भाग की मोटाई एक-एक हजार योजन की है। इनमें पहले भाग को रत्नकाण्ड, क्रमशः फ सोलहवें भाग को रिष्ट काण्ड कहते हैं। ये १६ काण्ड हजार-हजार योजन की मोटाई वाले हैं। खरकाण्ड सोलह प्रकार के रत्न होने से इस पृथिवी का नाम रत्नप्रभा प्रसिद्ध है। विस्तृत विवर, जीवाभिगम से जानना चाहिए। (चित्र देखें) kaand is the top most section and its thickness is sixteen thousand Yojans. Yojans. The lowest section is Jal-bahul kaand with a thickness of 80 thousand Yojans. Khar-kaand is divided into 16 layers with names listed in the aforesaid three aphorisms. As Khar-kaand is made up of sixteen kinds of gems (ratna) this earth is popularly known as Ratnaprabha. (for detailed description see Jivabhigam Sutra; also see illustration) उद्वेध - पद UDVEDH-PAD (SEGMENT OF DEPTH) १६४. सव्वेवि णं दीव - समुद्दा दस जोयणसताइं उव्वेहेणं पण्णत्ता । सव्वेवि णं महादहा दस जोयणाई उव्वेहेणं पण्णत्ता । १६५. The section below it is Pank-bahul kaand with a thickness of 84 thousand 卐 १६६ . सव्वेवि णं सलिलकुंडा दस जोयणाई उव्वेहेणं पण्णत्ता । स्थानांगसूत्र सूत्र ५ (२) Jain Education International (562) फ्र फ For Private & Personal Use Only Sthaananga Sutra (2) फ्र 1 95 95 95 95 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5555552 卐 卐 25 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5555 5 5 5 55555 5 5 55 5 5 5 55 55 2 卐 www.jainelibrary.org

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