Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 599
________________ 因%%%% %% %%%%%% %%%%%%%%%%%%%%步 步步步步步日 119. There are ten chapters in Deergh Dasha-(1) Chandra, (2) Surya, (3) Shukra, (4) Shridevi, (5) Prabhavati, (6) Dveep-samudrotpatti, (7) Bahuputri Mandara, (8) Sthavir Smbhuavijaya, (9) Sthavir Pakshma and (10) Uchchhavaas-nihshvaas. १२०. संखेवियदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-खुड्डिया विमाणपविभत्ती, महल्लिया ॥ विमाणपविभत्ती, अंगचूलिया, वग्गचूलिया, विवाहचूलिया, अरुणोववाते, वरुणोववाते, गरुलोदवाते, वेलंधरोववाते, वेसमणोववाते। १२०. संक्षेपिकदशा के दस अध्ययन हैं, जैसे-(१) क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति, (२) महतीविमानप्रविभक्ति, (३) अंगचूलिका (आचार आदि अंगों की चूलिका), (४) वर्गचूलिका (अन्तकृत्दशा की चूलिका), म (५) विवाहचूलिका (व्याख्याप्रज्ञप्ति की चूलिका), (६) अरुणोपपात, (७) वरुणोपपात, (८) गरुडोपपात, (९) वेलंधरोपपात, (१०) वैश्रमणोपपात। 120. There are ten chapters in Sankshepak Dasha—(1) Kshullikavimaan. pravibhakti, (2) Mahativimaan-pravibhakti, (3) Angachulika (Appendix of Angas including Achaaranga), (4) Vargachulika (Appendix of Antakriddasha), (5) Vivahachulika (Appendix of Vyakhyaprajnapti), 45 (6) Arunopapat, (7) Varunopapat, (8) Garudopapat, (9) Velandharopapat and ॐ (10) Vaishramanopapat. विवेचन-सूत्र ११७-१२० तक में कथित दशाओं के विषय में-बंधदशा-बन्ध एवं मोक्ष आदि को ॐ बतलाने वाली जो दशाएँ हैं, वे बंधदशा कहलाती हैं। वह दशा वर्तमान में अनुपलब्ध है, किन्तु + आचारांगसूत्र के २४वें और २५वें अध्ययन का नाम भावना और विमुक्ति है। उनका स्वरूप और विषय गुरु परम्परा से जानना चाहिए। द्विगृद्धिदसा-वह दशा भी वर्तमान मे अनुपलब्ध है, किन्तु भगवती सूत्र के १६वें शतक में एक स्वप्न उद्देशक देखा जाता है। उसमें स्वप्नों का विस्तत वर्णन है। दीर्घदशा-यह दशा भी स्वरूप से अवगत नहीं है। फिर भी इसके कितनेक अध्यय निरयावलिका में देखने को मिलते हैं, जैसे कि-चन्द्र, सूर्य, शुक्र और बहुपुत्रिका। ये चार अध्ययन पुष्पिता नामक सूत्र के ॐ तीसरे वर्ग में हैं। श्रीदेवी नाम का अध्ययन पुष्पचूलिका नामक चौथे वर्ग में है। शेष अध्ययन कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है। + संक्षेपिक दशा-यह दशा भी वर्तमान में अनुपलब्ध है, फिर भी नन्दीसूत्र के टीकाकार आचार्य मलयगिरि ने इस विषय में कुछ वर्णन किया है जैसे-क्षुल्लिका विमान-प्रविभक्ति में आवलिका-प्रविष्ट ॐ विमानों तथा पुष्पावकीर्ण लघु विमानों का वर्णन है। महती विमान-प्रविभक्ति में आवलिका प्रविष्ट बड़े 卐 विमानों का वर्णन है। अंग सूत्रों पर जो चूलिकाएँ हैं, उनका वर्णन जिस अंग में है, वह अंगचूलिका कहलाता है, जैसेकि आचारांगचूलिका इत्यादि। जिसमें वर्गों का वर्णन हो, उसे वर्गचूलिका कहते हैं, जैसे कि ज्ञाता धर्मकथा के दूसरे श्रुतस्कन्ध में वर्ग हैं। अध्ययनों के समूह को वर्ग कहते हैं। व्याख्याचूलिका 955959555555555555555555555555555555555555555卐58 | दशम स्थान (535) Tenth Sthaan 815 5 95 ))))))))))))))) )))))))) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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