Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 608
________________ 25 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 2 फ्र 卐 पुत्र- पद PUTRA-PAD (SEGMENT OF SON) १३७. दस पुत्ता पण्णत्ता, तं जहा - अत्तए, खेत्तए, दिण्णए, विण्णए, उरसे, मोहरे, सोंडीरे, संबुडे, उवयाइले, धम्मंतेवासी । १३७. पुत्र दस प्रकार के हैं, जैसे - ( १ ) आत्मज - अपने पिता से उत्पन्न पुत्र । (२) क्षेत्रज - नियोगविधि से उत्पन्न पुत्र । (३) दत्तक-गोद लिया हुआ पुत्र । (४) विज्ञक - विद्या दान करने वाले गुरु का शिष्य । (५) औरस - स्नेहवश स्वीकार किया पुत्र अथवा विवाहिता पत्नी से उत्पन्न । ( ६ ) मौखर - अपनी वचन- कुशलता या चापलूसी के कारण पुत्र रूप से स्वीकृत । (७) शौण्डीर - शूरवीरता के कारण अपने अधीन किये व्यक्ति पुत्र रूप से स्वीकृत । (८) संवर्धित - पालन-पोषण किया गया अनाथ पुत्र । ( ९ ) औपयाचितक - देवता की आराधना से उत्पन्न पुत्र या प्रिय सेवक। (१०) धर्मान्तेवासी - धर्माराधन के ! लिए समीप रहने वाला शिष्य । 137. Putra (sons) are of ten kinds-(1) Atmaj-father's son (own son). ! (2) Kshetraj-son by niyoga process (consented conception by wife from other person or artificial insemination). (3) Dattak - adopted son. (4) Vijnak-son-like student of a teacher. (5) Auras-accepted as son out of love; also a son by married wife. (6) Maukhar-accepted as son due to flattery or glib talking. (7) Shaundir-a conquered person accepted as a 5 son due to his bravery. ( 8 ) Samvardhit-an orphan raised as son. H (9) Aupayachitak—son or beloved servant bestowed by some deity. (10) Dharmantevasi-a disciple living with a guru for religious practices. अणुत्तर - पद ANUTTAR-PAD (SEGMENT OF MATCHLESS THINGS) १३८. केवलिस्स णं दस अणुत्तरा पण्णत्ता, तं जहा - अणुत्तरे णाणे, अणुत्तरे दंसणे, अणुत्तरे चरिते, अणुत्तरे तवे, अणुत्तरे वीरिए, अणुत्तरा खंती, अणुत्तरा मुत्ती, अणुत्तरे अज्जवे, अणुत्तरे मद्दवे, अणुत्तरे लाघवे । १३८. केवली के दस ( अनुपम या सबसे उत्तम) हैं, जैसे- (१) अनुत्तर ज्ञान, (२) अनुत्तर दर्शन, (३) अनुत्तर चारित्र, (४) अनुत्तर तप, (५) अनुत्तर वीर्य (आत्म शक्ति), (६) अनुत्तर क्षान्ति, (७) अनुत्तर मुक्ति, (८) अनुत्तर आर्जव, (९) अनुत्तर मार्दव, (१०) अनुत्तर लाघव । 138. A Kevali has ten anuttar (matchless) things - ( 1 ) anuttar jnana (matchless knowledge ), ( 2 ) anuttar darshan (matchless perception ), (3) anuttar chaaritra (matchless conduct ), (4) anuttar tap (matchless austerities); (5) anuttar virya (matchless spiritual potency), (6) anuttar kshanti (matchless forgiveness ), (7) anuttar mukti (matchless contentment), (8) anuttar arjava (matchless spiritual purity), (9) anuttar maardava (matchless gentleness), and (10) anuttar laghava (matchless modesty). स्थानांगसूत्र (२) (544) Jain Education International फफफफफफफफफफफ Sthaananga Sutra (2) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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