Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 609
________________ फफफफफफफफफफफ 卐 5 कुरा- पद KURA PAD (SEGMENT OF KURA ) १३९. समयखेत्ते णं दस कुराओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पंच देवकुराओ पंच उत्तरकुराओ । तत्थ णं दस महतिमहालया महादुमा पण्णत्ता, तं जहा - जम्बू सुदंसणा, धायइरुक्खे, महाधायइरुक्खे, पउमरुक्खे, महापउमरुक्खे, पंच कूडसामलीओ । तत्थ णं दस देवा महिड्डिया जाव परिवसंति, तं जहा - अणाढिते जंबुद्दीवाधिपती, सुदंसणे, पियदंसणे, पोंडरीए, महापोंडरीए, पंच गरुला वेणुदेवा । १३९. समयक्षेत्र (मनुष्यलोक) में दस कुरा हैं, जैसे- पाँच देवकुरा, पाँच उत्तरकुरा । (जम्बूद्वीप में १-१, धातकीषण्ड में २-२ पुष्करार्द्ध द्वीप में २-२ यों पाँच देव कुरु, पाँच उत्तर कुरु) वहाँ दस महातिमहान् दस महाद्रुम हैं, जैसे- (१) (उत्तर कुरु में) जम्बू सुदर्शन वृक्ष, (२) धातकी वृक्ष, (३) महाधातकी वृक्ष, (४) पद्म वृक्ष, (५) महापद्म ये पाँच महावृक्ष हैं तथा देव कुरु में पाँच कूटशाल्मली महा वृक्ष हैं । वहाँ महर्धिक, महाद्युतिसम्पन्न, महानुभाग, महायशस्वी, महाबली और महासुखी तथा एक पल्योपम की स्थिति वाले दस देव रहते हैं, जैसे- (१) जम्बूद्वीपाधिपति अनादृत, (२) सुदर्शन, (३) प्रियदर्शन, 5 (४) पौण्डरीक, (५) महापौण्डरीक । तथा पाँच गरुड़ वेणुदेव (पाँच कूट शाल्मली वृक्षों पर निवास करते हैं) । 139. In the Samaya kshetra (area inhabited by humans) there are ten 5 Kuras (specific section of land)-five Devakuras and five Uttar-kuras (one each in Jambudveep, two each in Dhatakikhand and two each in Pushkarardh Dveep; thus there are five Devakuras and five Uttar-kuras). There are ten best among the best mahadrums (great trees) there—(in Uttar- kuru) (1) Jambu Sudarshan tree, (2) Dhataki tree, (3) Mahadhataki tree, ( 4 ) Padma tree, ( 5 ) Mahapadma tree and in Devakur there are five Koot-shalmali great trees. On these trees reside ten gods having great wealth, great radiance, great फ्र दुःषमा - लक्षण - पद DUKHAMA LAKSHAN PAD (SEGMENT OF SIGNS OF DUKHAMA ) 卐 Is power, great fame, great strength, great happiness and life span of one 5 Palyopam (a metaphoric unit of time)-(1) Jambudveepadhipati Anadrit Dev, (2) Sudarshan, (3) Priyadarshan, (4) Paundareek, (5) Mahapaundareek, 5 and five Garud Venu Devas on five Koot-shalmali trees. १४०. दसहिं ठाणेहिं ओगाढं दुस्समं जाणेज्जा, तं जहा - अकाले वरिसइ, असाहू पूइज्जति, साहू ण पूइज्जति, गुरुसु जणो मिच्छं पडिवण्णो, अमणुण्णा सद्दा, (अणुण्णा रुवा, अमणुण्णा गंधा, अण्णा रसा, अमणुण्णा) फासा । दशम स्थान (545) Jain Education International फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ Tenth Sthaan For Private & Personal Use Only 卐 卐 卐 卐 फ़ल 卐 www.jainelibrary.org.

Loading...

Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648