Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 598
________________ 25 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 55 59 2955 555 55 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 55 5555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 52 卐 variety of special powers and mantras and that became extinct at some point of time. In order to fill the void a new book with the same name could have been written where the subject matter is five Asravas and 5 five Samvars. When and by whom this new work was written is a matter 5 of research. ११७. बंधदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा बंधे य मोक्खे य देवड्डि, दसारमंडलेवि य । 卐 आयरियविप्पडिवत्ती, उवज्झायविप्पडिवत्ती, भावणा, विमुत्ती, सातो, कम्मे । ११७. बन्धदशा के दस अध्ययन हैं, जैसे- (9) बन्ध, (२) मोक्ष, (३) देवर्धि, (४) दशारमण्डल, (५) आचार्य - विप्रतिपत्ति, (६) उपाध्याय - विप्रतिपत्ति, (७) भावना, (८) विमुक्ति, (९) सात, (१०) कर्म । 117. There are ten chapters in Bandh Dasha-(1) Bandh, (2) Moksha, (3) Devardhi, (4) Dashaar Mandal, (5) Acharya-vipratipatti, 5 (6) Upadhyaya-vipratipatti, (7) Bhaavana, (8) Vimukti, ( 9 ) Saat and 5 (10) Karma. सुखेत्ते, ११८. दोगेद्धिदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-वाए, विवाए, उववाते, कसिणे, बायालीसं सुमिणा, तीसं महासुमिणा, बावन्तरि सव्वसुमिणा । हारे रामगुत्ते य, एमेते दस आहिता । ११८. द्विगृद्धिदशा के दस अध्ययन हैं, जैसे- (१) वाद, (२) विवाद, (३) उपपात, (४) सुक्षेत्र, (५) कृत्स्न, (६) बयालीस स्वप्न, (७) तीस महास्वप्न, (८) बहत्तर सर्वस्वप्न, (९) हार, (१०) रामगुप्त । 118. There are ten chapters in Dvigriddhi Dasha – ( 1 ) Vaad, (2) Vivaad, (3) Upapat, (4) Sukshetra, (5) Kritsna, (6) Forty two dreams, (7) Thirty great dreams, (8) Seventy two dreams in total, (9) Haar and (10) Ramagupta. ११९. दीहदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा चंदे सूरे य सुक्के य, सिरिदेवी पभावती । दीवसमुद्दोववत्ती बहूपत्ती मंदरेति य ॥ थेरे संभूतिविजए य, थेरे पम्ह ऊसासणीसासे ॥१ ॥ ११९. दीर्घदशा के दस अध्ययन हैं, जैसे- चन्द्र, (२) सूर्य, (३) शुक्र, (४) श्रीदेवी, (५) प्रभावती, (६) द्वीप - समुद्रोपपत्ति, (७) बहुपुत्री मन्दरा, (८) स्थविर सम्भूतविजय, (९) स्थविर पक्ष्म, (१०) उच्छ्वास - निःश्वास । स्थानांगसूत्र ( २ ) Jain Education International (534) For Private & Personal Use Only Sthaananga Sutra (2) फ्रा www.jainelibrary.org

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