Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 548
________________ 2555955 5 5 55 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 55 2 卐 5 स्थान पर हैं। नीचे मूल भाग में वे दस हजार योजन चौड़े हैं। मूल भाग के विस्तार से दोनों ओर 5 एक-एक प्रदेश की वृद्धि से बढ़ते हुए बहुमध्यदेश भाग एक लाख योजन चौड़े हैं। ऊपर मुखमूल में उनका विस्तार दस हजार योजन है। उन पातालों की भित्तियाँ सर्व वज्रमयी, सर्वत्र समान और सर्वत्र दस हजार योजन चौड़ी हैं। 34. There are four Mahapatal Kalash (gigantic pitcher shaped areas ) in four directions in Lavan Samudra. All these Mahapatal Kalash are one hundred thousand Yojans deep (their names are-Valayamukh, 5 Ketuk, Yupak and Ishvar). These areas are devoid of slope (gotirtha). At the base (sea bed) they are ten thousand Yojan wide. With a gradual increase in area, with every space-point of height from the sea-bed, they reach a maximum width of one hundred thousand Yojans in the middle and then start decreasing. Their width at the mouth or surface of the sea is ten thousand Yojans. The walls of these Paataals are diamond hard, uniform and ten thousand Yojan thick. 卐 卐 ३५. सव्वेवि णं खुद्दा पाताला दस जोयणसताई उव्वेहेणं पण्णत्ता, मूले दसदसाई जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता, बहुमज्झदेसभागे एगपएसियाए सेढीए दस जोयणसताइं विक्खंभेणं पण्णत्ता, उवरिं मुहमूले दसदसाई जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता । तेसि णं खुड्डापातालाणं कुड्डा सव्ववइरामया सव्वत्थ समा दस जोयणाइं बाहल्लेणं पण्णत्ता । फ़! ३५. लवणसमुद्र की दिशाओं और विदिशाओं में सभी छोटे पातालकलश एक हजार योजन गहरे हैं। मूल भाग में उनका विस्तार सौ योजन है। मूलभाग के विस्तार से दोनों ओर एक-एक प्रदेश की वृद्धि से बहुमध्य देशभाग में उनका विस्तार एक हजार योजन है। ऊपर मुखमूल में उनका विस्तार सौ योजन है। उन छोटे पातालकलशों की भित्तियाँ सर्व वज्रमयी, सर्वत्र समान और सर्वत्र दश योजन विस्तार वाली है। उनकी कुल संख्या ७८८४ है । (विस्तार के लिए देखें- गणितानुयोग पृष्ठ ३४२ तथा जीवाभिगम) 35. There are small Patal Kalash (pitcher shaped areas) in all cardinal and intermediate directions in Lavan Samudra. They are one thousand Yojans deep. At the base (sea bed) they are one hundred Yojan wide. With a gradual increase in area, with every space-point of height from the sea-bed, they reach a maximum width of one thousand Yojans in the middle and then start decreasing. Their width at the mouth or surface of the sea is one thousand Yojans. The walls of these Paataals are diamond hard, uniform and ten Yojan thick. Their total number is 7884. (for more details refer to Ganitanuyog, 5 p. 342 and Jivabhigam) स्थानांगसूत्र (२) (486) Jain Education International फफफफफा For Private & Personal Use Only Sthaananga Sutra (2) www.jainelibrary.org

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