Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 579
________________ भक)55555555555555555555555555555558 5 fa97a-VISHESH-PAD (SEGMENT OF SPECIAL FAULTS) ९५. दसविधे विसेसे पण्णत्ते, तं जहा वत्थु तज्जातदोसे य, दोसे एगट्ठिएति य। कारणे य पुडुप्पण्णे, दोसे णिच्चेहिय अट्ठमे॥ अत्तणा उवणीते य, विसेसेति य ते दस॥१॥ ९५. वाद के विशेष दोष दस प्रकार के हैं, जैसे-(१) वस्तुदोष-विशेष-पक्ष सम्बन्धी दोष के है विशेष प्रकार। (२) तज्जात-दोष-विशेष-वादकाल में प्रतिवादी के जन्म आदि सम्बन्धी विशेष दोष। म (३) दोष-विशेष-मतिभंग आदि दोषों के विशेष प्रकार। (४) एकार्थिक-विशेष-एक अर्थ के वाचक शब्दों की निरुक्ति-जनित विशेष प्रकार। (५) कारण-विशेष-कारण के विशेष प्रकार। (६) प्रत्युत्पन्न ॐ दोष-विशेष-वस्तु को क्षणिक मानने पर कृतनाश और अकृत-अभ्यागम आदि दोषों की प्राप्ति। म (७) नित्यदोष-विशेष-वस्तु को सर्वथा नित्य मानने पर प्राप्त होने वाले दोष के विशेष प्रकार। (८) अधिकदोष-विशेष-वादकाल में दृष्टान्त, उपनय आदि का अधिक प्रयोग। (९) आत्मोपनीतके विशेष-उदाहरण दोष का एक प्रकार। (१०) विशेष-वस्तु का भेदात्मक धर्म। (देखें-ठाणं, पृष्ठ ९२७। हिन्दी टीका, पृष्ठ ७७८) 95. There are ten vishesh dosh (special faults) of debate(1) Vastudosh-vishes--special faults related to theme. (2) tajjat-dosh vishes-special faults related to birth and other personal matters about ॐ the opponent during a debate. (3) Dosh-vishes-special categories of faults like matibhang. (4) Ekarthik-vishes-special faults related to etymology of synonyms. (5) Kaaran-vishes-special faults related to kaaran. (6) Pratyutpanna-dosh-vishes-special faults related to intentional destruction and unintentional origin caused by accepting a thing as transitory. (7) Nitya-dosh-vishes-special faults due to accepting f a thing as absolutely eternal or permanent. (8) Adhik-dosh-vishes- 4 special faults related to excessive use of examples and quotes during a debate. (9) Atmopaneet-vishes-a kind of udaharan dosh. (10) Vishes the disintegrative nature of things or theme. में शुद्धवाग्-अनुयोग-पद SHUDDHAVAG-ANUYOGA-PAD (SEGMENT OF INDEPENDENT PHRASES) # ९६. दसविधे सुद्धवायाणुओगे पण्णत्ते, तं जहा-चंकारे, मंकारे, पिंकारे, सेयंकारे, सायंकारे, एगत्ते, पुधत्ते, संजहे, संकामिते, भिण्णे। ९६. वाक्य-निरपेक्ष शुद्ध पद का अनुयोग (शुद्ध वाक्यानुयोग) दस प्रकार का है, जैसे 555555555555555555555555555555555555 hhhhhhhhhhhh दशम स्थान (515) Tenth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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