Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 546
________________ 卐55555555555555555555555555555555555 845555555555555555555555555555555 म दिशा-पद (रुचक प्रदेश क्षेत्र) DISHA-PAD (SEGMENT OF DIRECTIONS) ३०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभागे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए ॐ उवरिमहेढिल्लेसु खुड्डगपतरेसु, एत्थ णं अट्ठपएसिए रुयगे पण्णत्ते, जओ णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति, तं जहा पुरथिमा, पुरथिमदाहिणा, दाहिणा, दाहिणपच्चत्थिमा, पच्चत्थिमा, + पच्चत्थिमुत्तरा, उत्तरा, उत्तरपुरस्थिमा, उड्डा, अहा। ३१. एतासि णं दसण्हं दिसाणं दस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा इंदा अग्गीह जाया य, णेरती वारुणी य वायव्या। सोमा ईसाणी य, विमला य तमा य बोद्धव्या॥१॥ म ३०. जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के ठीक मध्य भाग में (नौ सौ योजन नीचे जहाँ मध्य +लोक समाप्त होता है तथा अधोलोक प्रारम्भ होता है)। रत्नप्रभा पृथिवी के ऊपर क्षुल्लक प्रतर में गाय के स्तनाकार चार तथा उसके नीचे के क्षुल्लक प्रतर में गोस्तनाकार चार, इस प्रकार आठ आकाश प्रदेश + वाला रुचक कहा गया है। इसी से दसों दिशाओं का उद्गम होता है, जैसे-(१) पूर्वदिशा, (२) पूर्व-दक्षिण-आग्नेयदिशा, (३) दक्षिणदिशा, (४) दक्षिण-पश्चिम-नैर्ऋत्य दिशा, (५) पश्चिम ॐ दिशा, (६) पश्चिम-उत्तर-वायव्य दिशा, (७) उत्तर दिशा, (८) उत्तर-पूर्व-ईशान दिशा, (९) ऊर्ध्व 卐 दिशा, (१०) अधोदिशा। ३१. इन दस दिशाओं के दस नाम हैं-(१) इन्द्रा, (२) आग्नेयी, (३) याम्या, (४) नैर्ऋती, 卐 (५) वारुणी, (६) वायव्या, (७) सोमा, (८) ईशानी, (९) विमला, (१०) तमा। 30. In Jambu continent in the exact middle of the (perpendicular section of) Mandar mountain (nine hundred Yojans below where the middle world ends and lower world starts) just above Ratnaprabha prithvi there is a Ruchak pradesh (Ruchak section) with eight spacesections (akash pradesh) at two micro-levels (kshullak pratar) of four space-sections each, resembling four teats in udder of a cow, one above the other and facing each other. From this core section originate ten 45 directions (1) East, (2) South-east (Aagneya), (3) South, (4) South-west ST (Nairritya), (5) West, (6) North-west (Vayavya), (7) North, (8) North-east (Ishan), (9) Zenith and (10) Nadir. 31. These ten directions have ten names (1) Indrad, (2) Aagneyi, 9 (3) Yamya, (4) Nairriti, (5) Vaaruni, (6) Vayavyaa, (7) Somaa, (8) Ishani, (9) Vimala and (10) Tamaa. ॐ गोतीर्थ-पद GOTIRTHA-PAD (SEGMENT OF SLOPING BANK) ३२. लवणस्स णं समुदस्स दस जोयणसहस्साइं गोतित्थविरहिते खेत्ते पण्णत्ते। स्थानांगसूत्र (२) (484) Sthaananga Sutra (2) | 因为步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步牙牙牙牙牙牙 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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