Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 547
________________ 步步步步步步步步步步步步步步步步步步另%%%%%%%%%%%%% ३२. लवणसमुद्र का दस हजार योजन क्षेत्र गोतीर्थ-रहित (समतल) है। 32. Ten thousand Yojan area of Lavan Samudra is without gotirtha (slope). ३३. लवणस्स णं समुद्दस्स दस जोयणसहस्साई उदगमाले पण्णत्ते। ३३. लवणसमुद्र की उदकमाला (वेला) दस हजार योजन चौड़ी है। 33. The udak-mala (wave crest) of Lavan Samudra is ten thousand Yojan wide. विवेचन-जिस जलस्थान (तालाब-समुद्र आदि) पर गायें जल पीने के लिए उतरती हैं, वह क्रम से ढलान वाला स्थान आगे-आगे अधिक नीचा होता है, उसे गोतीर्थ कहते हैं। लवणसमुद्र के दोनों पावों प्र में, (जम्बूद्वीप तथा धातकीषण्ड से) ९५-९५ हजार योजन भीतर जल स्थान गोतीर्थ के आकार में है। बीच में दस हजार योजन तक पानी समतल है, उसमें ढलान नहीं है, उस समतल भूमि को र 'गोतीर्थविरहित' कहा जाता है। ___ जल की ऊपर उठती शिखा या चोटी को (जो समुद्र से ऊँची उठी है) उदकमाला कहते हैं। यह समुद्र के मध्यभाग में होती है। लवणसमुद्र की उदकमाला दस हजार योजन चौड़ी और सोलह हजार योजन ऊँची होती है। वेलंधर देव इसकी रक्षा करते हैं। ___Elaboration-The sloping area within a water-body, starting from the bank, where cows frequent for drinking water is called gotirtha. This i gradual slope continues to increase towards the middle. On both ends of 4 Lavan Samudra (from Jambudveep and Dhatakikhand) the gotirtha is ninety five thousand Yojans long. In the center the area of level sea bed : is ten thousand Yojans long. This level area devoid of slope (gotirtha) is called gotirtha-virahit. A wave crest is called udak-mala. It is in the middle of a sea. The wave crest (maximum) of Lavan Samudra is ten thousand Yojans wide and sixteen thousand Yojans high. It is guarded by Velandhar gods. पातालकलश-पद PATAL KALASH-PAD (SEGMENT OF PATAL KALASH) ३४. सब्वेवि णं महापाताला दसदसाइं जोयणसहस्साइं उव्वेहेणं पण्णत्ता, मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं पण्णत्ता, बहुमज्झदेसभागे एगपएसियाए सेढीए दसदसाइं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पण्णत्ता, उवरि मुहमूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पण्णत्ता। तेसि णं महापातालाणं कुड्डा सब्बवइरामया सव्वत्थ समा दस जोयणसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ता। ३४. लवणसमुद्र में चारों दिशाओं में चार महापाताल कलश हैं। सभी महापाताल (पातालकलश) एक लाख योजन गहरे हैं। (उनके नाम हैं-वलयामुख, केतुक, यूपक और ईश्वर)। ये गोतीर्थ रहित 5555555555555555555555555555555555555555555555558 दशम स्थान (485) Tenth Sthaan %% %%% %%%% %%% % %%% % % %% %%%%%%%%%%% Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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