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ॐ ७५. अर्हत् चन्द्रप्रभ दस लाख पूर्व की पूर्ण आयु पालकर सिद्ध यावत् समस्त दुःखों से मुक्त हुए। म म ७६. अर्हत् धर्मनाथ दस लाख पूर्व की पूर्ण आयु भोगकर सिद्ध यावत् समस्त दुःखों से मुक्त हुए। ७७. अर्हत् नमि दस हजार वर्ष की पूर्ण आयु भोगकर सिद्ध यावत् समस्त दुःखों से मुक्त हुए।
75. Arhat Chandraprabh became perfect (Siddha), ...and so on up to... and ended all miseries after concluding a life span of ten lac (hundred thousand) Purva. 76. Arhat Dharmanaath became perfect (Siddha), ...and so on up to... and ended all miseries after concluding a life span of ten lac (hundred thousand) Purva. 77. Arhat Nami became perfect (Siddha), ...and so on up to... and ended all miseries after concluding a life span of ten thousand years.
७८. पुरिससीहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साइं सवाउयं पालित्ता छट्ठीए तमाए पुढवीए रयत्ताए उववण्णे।
७८. पुरुषसिंह नाम के पाँचवें वासुदेव दस लाख वर्ष की पूर्ण आयु भोगकर 'तमा' नाम की छठी पृथिवी में नारक रूप से उत्पन्न हुए।
78. Purush Simha, the fifth Vaasudev, reincarnated as an infernal being in Tama, the sixth Prithvi, after concluding a life span of ten lac (hundred thousand) years.
७९. णेमी णं अरहा दस धणूई उड्ढे उच्चत्तेणं, दस य वाससयाई सब्बाउयं पालइत्ता सिद्धे प्पहीणे।
७९. अर्हत् नेमि के शरीर की ऊँचाई दस धनुष की थी। वे एक हजार वर्ष की आयु पाल कर म सिद्ध यावत् समस्त दुःखों से मुक्त हुए।
79. Arhat Nemi was ten Dhanush tall and he became perfect ॐ (Siddha), ...and so on up to... and ended all miseries after concluding a și life span of one thousand years. ॐ ८०. कण्हे णं वासुदेवे दस धणूई उठं उच्चत्तेणं, दस य वाससयाइं सव्वाउयं पालइत्ता तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववण्णे।
८१. वासुदेव कृष्ण के शरीर की ऊँचाई दस धनुष की थी। वे दस सौ (१०००) वर्ष की पूर्णायु पालकर ‘वालुकाप्रभा' नाम की तीसरी पृथिवी में उत्पन्न हुए।
80. Vaasudeva Krishna was ten Dhanush tall and he reincarnated as an infernal being in Balukaprabha, the third Prithvi, after concluding a 4 life span of ten hundred (1000) years.
दशम स्थान
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Tenth Sthaan
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