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॥5555555)भागागागाना
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गन्ध सूंधेगे। (६) कई जीव शरीर के सर्व देश से भी गन्ध सूंघेगे। (७) कई जीव शरीर के एक देश से - भी रस चखेंगे। (८) कई जीव शरीर के सर्व देश से भी रस चखेंगे। (९) कई जीव शरीर के एक देश से 5 भी स्पर्शों का वेदन करेंगे। (१०) कई जीव शरीर के सर्व देश से भी स्पर्शों का वेदन करेंगे।
5. There are ten indriyarth (subjects of sense organs) related to the future-(1) Some jivas (living beings) will experience sounds from one part of the body (deshatah). (2) Some jivas (living beings) will experience sound from all parts of the body (sarvatah). (3) Some jivas will experience forms from one part of the body. (4) Some jivas will experience forms from all parts of the body. (5) Some jivas will experience odours from one part of the body. (6) Some jivas will experience odours from all parts of the body. (7) Some jivas will experience taste from one part of the body. (8) Some jivas will experience taste from all parts of the body. (9) Some jivas will experience touch from one part of the body. (10) Some jivas will experience touch from all parts of the body. अच्छिन्न पुद्गल-चलन-पद ACHCHHIANA PUDGAL-CHALAN-PAD
(SEGMENT OF SHIFT OF INTEGRATED PARTICLE) ६. दसहिं ठाणेहिं अच्छिण्णे पोग्गले चलेज्जा, तं जहा-आहारिज्जमाणे वा चलेजा। । परिणामेज्जमाणे वा चलेजा। उस्ससिज्जमाणे वा चलेजा। णिस्ससिज्जमाणे वा चलेजा। वेदेज्जमाणे
वा चलेजा। णिज्जरिज्जमाणे वा चलेजा। विउविज्जमाणे वा चलेजा। परियारिज्जमाणे वा चलेजा। । जक्खाइटे वा चलेजा। वातपरिगए वा चलेज्जा।
६. दस स्थानों से अच्छिन्न (शरीर या स्कन्ध के साथ संबद्ध) पुद्गल चलित (स्थानांतरित) होता है, ॐ जैसे-(१) आहार के रूप में ग्रहण किया जाता हुआ पुद्गल। (२) आहार के रूप में परिणत किया जाता हुआ पुद्गल। (३) उच्छ्वास के रूप में ग्रहण किया जाता हुआ पुद्गल। (४) निःश्वास के रूप में
परिणत किया जाता हुआ पुद्गल। (५) वेद्यमान (जिनका वेदन किया जा रहा है) पुद्गल। का (६) निर्जीर्यमाण पुद्गल। (७) विक्रियमाण (वैक्रिय शरीर के रूप में परिणत होता हुआ) पुद्गल।
(८) परिचारणा (मैथुन) के समय। (९) शरीर के यक्षाविष्ट होने पर तथा (१०) वायु से प्रेरित होकर के पुद्गल सम्बद्ध स्कंध से चलित होता है।
6. For ten reasons achchhinna pudgal (matter particle integrated 4 with a body or lump) shifts from its place-(1) Particle being eate
(2) Particle being transformed into food. (3) Particle being inhaled. (4) Particle being exhaled. (5) Particle causing sufferance (karma particle). (6) Particle being shed (karma. particle). (7) Particle being transmuted (vikriyaman). (8) During copulation. (9) When a body is under the spell of an evil spirit. (10) Under the influence of wind.
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दशम स्थान
(469)
Tenth Sthaan
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