Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 527
________________ 15555555555555))))) ))))))))))))))) गागागागा नागागागागा (४) न कभी ऐसा हुआ है, न ऐसा हो रहा है और न ऐसा कभी होगा कि जीव अपना जीवत्व 卐 (जीव सत्ता) छोड़कर अजीव हो जायें और अजीव जीव हो जायें। (५) न कभी ऐसा हुआ है, न ऐसा हो रहा है, और न कभी ऐसा होगा कि त्रसजीवों का सर्वथा अभाव या लोप हो जाये और सब जीव स्थावर हो जायें। अथवा स्थावर जीवों का संसार से लोप हो जाये और सब जीव त्रस हो जायें। (६) न कभी ऐसा हुआ है, न ऐसा हो रहा है और न कभी ऐसा होगा कि लोक, अलोक हो जाय और अलोक, लोक हो जाये। (७) न कभी ऐसा हुआ है, न ऐसा हो रहा है और न कभी ऐसा होगा कि लोक अलोक में प्रवेश कर जाये और अलोक लोक में प्रविष्ट हो जाय। (८) जहाँ तक लोक है, वहाँ तक जीव हैं और जहाँ तक जीव हैं वहाँ तक लोक है। (९) जहाँ तक जीव और पुद्गलों का एक छोर से दूसरे छोर तक गतिपर्याय (गमन) है, वहाँ तक लोक है और जहाँ तक लोक है, वहाँ तक जीवों और पुद्गलों का गतिपर्याय है। (१०) लोक के सभी अन्तिम भागों (लोकान्त) में अबद्ध पार्श्वस्पृष्ट (अबद्ध और स्पृष्ट) पुद्गल दूसरे रूक्ष पुद्गलों के द्वारा रूक्ष कर दिये जाते हैं, जिससे जीव और पुद्गल लोकान्त से बाहर गति करने के के लिए समर्थ नहीं होते हैं। अर्थात् पुद्गलों की रूक्षता तथा धर्मास्तिकाय के अभाव के कारण जीव और पुद्गल लोक के बाहर नहीं जा सकते। उक्त दसों बातें लोक में स्वाभाविक नियम से विद्यमान हैं। यह लोकस्थिति है। 1. Lokasthiti (state of occupied space or universe) is of ten kinds (1) Jivas (living beings) die again and again and are born again and again there only (at different space points in the Lok or universe). (2) Jiva (soul) bonds with paap karmas (demeritorious karmas) incessantly every moment. (3) Jiva (soul) acquires bondage of Mohaniya (deluding) paap karma every moment. (4) It never happened, is not happening and will never happen that jiva (soul) gets deprived of its jivatva (state of being the soul entity) and becomes ajiva (matter) and ajiva (matter) becomes jiva (soul). (5) It never happened, is not happening and will never happen that there is a total absence or extinction of tras jivas (mobile beings) and all beings become sthavar (immobile). Or there is a total absence or i extinction of sthavar (immobile beings) and all beings become tras (mobile). 85555555555555555555555555555555555555555 दशम स्थान (465) Tenth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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